नई दिल्ली। राजस्थान प्रदेश का कोटा जिला जोकि कोचिंग सेंटर्स का हब माना जाता है। देश में फैले कोरोना संक्रमण की वैश्विक महामारी के बीच कोटा कोचिंग सेंटर्स सवालों के घेरे में है जहां एक तरफ अपने भविष्य को सुरक्षित करने की लिए आये विभिन्न प्रदेशों के छात्र लॉकडाउन के चलते फसे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के हिसाब से देश भर के करीब 4.5 लाख बच्चे कोटा में रहकर कोचिंग कर रहे हैं जिनमें चार लाख बच्चे अपने स्तर से किसी प्रकार अपने-अपने घरों पर लॉकडाउन के बीच पहुँच चुके हैं। वहीं आज भी लगभग 50 हजार बच्चे कोटा में फसे हुए हैं। अब सवाल यह उठता है कि ऐसा आखिर क्यों? आखिर इन 50 हजार छात्रों का क्यों ख्याल नहीं कर रहे ये कोचिंग सेंटर्स और राज्य सरकार। इस पर अनदेखी क्यों की जा रही है? क्या वहां के कोचिंग सेंटर्स संचालक व्यसायिकता की दौड़ में अंधे हो गए हैं? यह एक बड़ा सवाल है।
छात्रों की अनदेखी कोचिंग संचालकों की लापरवाह का बड़ा सबूत
वैश्विक महामारी के बीच कोटा की कोचिंग मंडी आखिर क्यों आखें बंद कर बच्चों की अनदेखी कर रही है क्या उनकी छात्रों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं बनती, कोटा में फसे एक छात्र का तो ये तक कहना है कि एक कोचिंग संचालन ने तो उनसे यहाँ तक बोल दिया जो मर्ज़ी करो, जैसे चाहो जाओ हम कुछ नहीं कर सकते, और फिर यह बात बोलने की बात तो संचालक छात्रों के फ़ोन कॉल ही अटेंड नहीं कर रहे हैं।

ऑनलाइन एजुकेशन के नाम कर रहे गुमराह
आगरा में संचालित मोशन अकादमी के निदेशक डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि ऑनलाइन एजुकेशन के नाम पर कोटा के कोचिंग सेंटर्स छात्रों को गुमराह कर रहे हैं। फिजिक्स, मैथ और कैमिस्ट्री ऐसे विषय हैं जिनकी एजुकेशन बिना प्रेक्टिकल मुमकिन ही नहीं है। इन विषयों की शिक्षा फिल्म नहीं है जिसे पर्दे पर दिखा कर सिखा दिया जाए, इसके लिए छात्र और शिक्षक का आमने-सामने होना जरुरी है।
राजस्थान सरकार की अनदेखी बेहद चिंताजनक
कोटा कोचिंग सिस्टम जबरदस्त तरीके से फैल होता नज़र आ रहा है। स्टूडेंट्स परेशान हो चुके हैं और कोरोना से संक्रमण के बीच लॉकडाउन में फसे छात्रों का ख्याल करना कोचिंग संचालकों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों और सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। हालाँकि इस बीच खबर ये है कि कोटा के डीएम ने व्यवस्था न करने वाले हॉस्टल्स व कोचिंग संचालकों पर कार्यवाई की बात पुनः दुहराई है।




































