नई दिल्ली। आईएनएक्स केस चिदंबरम की दलीलों पर आज ईडी सुप्रीम कोर्ट में जवाब देगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की दलीलों पर अपना पक्ष रखेगा। कोर्ट ने मंगलवार को उनकी गिरफ्तारी पर एक दिन के लिए रोक बढ़ा दी थी। सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि चिदंबरम को ऐसे मामले का सरगना कहा जा रहा है, जो 2007-08 में जुर्म था ही नहीं। उन्होंने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में संशोधन 2009 में किया गया, जबकि चिदंबरम पर लगे आरोप 2007-08 के हैं। इस दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें ईडी की जांच की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए। सिब्बल ने कहा था कि पिछले 3 दिनों में चिंदबरम से जो पूछताछ की गई है, सुप्रीम कोर्ट उसकी कॉपी हमें उपलब्ध कराने का निर्देश दे। सिब्बल ने जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच से कहा- ईडी पूछताछ की जो कॉपी उपलब्ध कराएगी, उससे यह पता चल जाएगा कि पूछताछ के दौरान चिंदबरम ने सवालों के जवाब गोलमोल दिए, या नहीं। जैसा कि ईडी ने आरोप लगाया था। ईडी चिदंबरम की कस्टडी के लिए यूं ही या चुपचाप कोर्ट में दस्तावेज नहीं रख सकती है। ईडी अचानक अदालत में दस्तावेज पेश कर रही है और इन्हें केस डायरी का हिस्सा बता रही है।
व्यक्ति के जीने और निजी आजादी के अधिकार को नहीं किया जा सकता खत्म
चिदंबरम की ओर से सिंघवी ने कहा था कि आर्टिकल 21 के तहत व्यक्ति के जीने और निजी आजादी के अधिकार को खत्म नहीं किया जा सकता है। मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में 2009 में संशोधन किया और इस मामले में आरोप 2007-2008 के हैं। आप किसी व्यक्ति को ऐसे कथित आरोपों में रंगना चाह रहे हैं, जो उस वक्त अस्तित्व में ही नहीं थे।
सरकार का मकसद केवल चिदंबरम को बुरा साबित करने का हैं
पी चिदंबरम के परिवार ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा था कि केंद्र सरकार का मकसद केवल चिदंबरम को बुरा साबित करने का है। हम केंद्र से मांग करते हैं कि वह अपने आरोपों के सबूत दे। मीडिया भी पागलों की तरह रिपोर्टिंग कर रहा है। ये सारे अप्रामाणिक और बिना जांचे-परखे लगाए गए आरोप हैं। किसी भी व्यक्ति को तब तक बेगुनाह माना जाता है, जब तक उसका दोष कोर्ट में साबित न हो जाए। हमारे परिवार के पास पर्याप्त संपत्ति है और हम टैक्स भरते हैं। हम पैसे के भूखे नहीं हैं और हमें गलत तरीकों से पैसा हासिल करने की जरूरत नहीं है।
वित्त मंत्री रहते हुए रिश्वत लेने का आरोप
आरोप है कि चिदंबरम ने वित्त मंत्री रहते हुए रिश्वत लेकर आईएनएक्स को 2007 में 305 करोड़ रु। लेने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाई थी। जिन कंपनियों को फायदा हुआ, उन्हें चिदंबरम के सांसद बेटे कार्ति चलाते हैं। सीबीआई ने 15 मई 2017 को केस दर्ज किया था। 2018 में ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। एयरसेल-मैक्सिस डील में भी चिदंबरम आरोपी हैं। इसमें सीबीआई ने 2017 में एफआईआर दर्ज की थी।
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