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पश्चिम से ही भाजपा के अगले अभियानों की शुरुआत

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लखनऊ। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भूपेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसीलिए चौधरी अध्यक्ष बनने के बाद अपनी पहली बैठक का आगाज पश्चिम से करने जा रहे हैं। बैठक में आगे जो अभियान चलाए जाने हैं, उनको लेकर भी रणनीति बनाई जाएगी। गाजियाबाद में आयोजित बैठक में पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल समेत समस्त कार्यकारिणी के सदस्य और जिलाध्यक्ष मौजूद रहेंगे। उन्होंने गाजियाबाद में पहली समीक्षा बैठक बुलाकर ये संकेत दे दिया है कि पश्चिम से ही भाजपा के अगले अभियानों की शुरुआत होगी। इस बैठक में उनके साथ प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह भी होंगे। पश्चिम में रालोद-सपा गठबंधन के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए भाजपा ने किसानों को साधने के लिए चौधरी भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। वे पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं, ऐसे में उनको हर जिले की विधानसभा और लोकसभा सीटों का गणित भी मालूम है। इस लिहाज से पश्चिम में पहली समीक्षा बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।

लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर पार्टी पश्चिमी यूपी के नेता को अध्यक्ष की जिम्मेदारी देना चाहती थी। जाट वोट बैंक को साधने के लिए चौधरी सबसे मजबूत नेता माने जा रहे थे। इससे पश्चिमी यूपी की करीब डेढ़ दर्जन जाट बहुल लोकसभा सीटों पर भाजपा को फायदा हो सकता है। पूरे प्रदेश में भी पिछड़े वोट बैंक को साधने में मदद मिलेगी। चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबी हैं और पुराने स्वयं सेवक हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यूपी में 80 में से 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के सामने उसे पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद मंडल की लोकसभा की सभी छह सीटें (मुरादाबाद, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, संभल और रामपुर) गंवानी पड़ी थीं।

सहारनपुर मंडल में सहारनपुर सीट भी भाजपा हार गई थी। मुजफ्फरनगर में मामूली मतों से जीत हासिल की थी। मेरठ और बागपत लोकसभा सीट पर भी भाजपा की जीत का अंतर कम रहा था। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में सपा-रालोद गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर रहा है। पहले की तुलना में गठबंधन की सीटें बढ़ीं। जाट मतदाताओं का झुकाव सपा-रालोद गठबंधन की ओर देखने को मिला। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा पश्चिमी यूपी में जाट मतदाताओं को साधने की तैयारी मेें है। इस सियासी बिसात में भूपेंद्र चौधरी के संगठन के साथ जुड़े रहने का लंबा तजुर्बा, जाट बिरादरी और राजनीतिक अनुभव का लाभ भाजपा उठाना चाहती है। कुल मिलाकर बीजेपी आलाकमान 2019 में पश्चिमी यूपी की हारी लोकसभा सीटों पर 2024 में बड़ा दांव लगाना चाहती है जिसके लिए ही उसने चौधरी की प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी भी की है।

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