Home International भारतवंशी सिद्धार्थ चटर्जी को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने बनाया चीन में रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर

भारतवंशी सिद्धार्थ चटर्जी को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने बनाया चीन में रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर

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संयुक्त राष्ट्र। विदेश में बड़ रहा है भारत का दवदव। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारतवंशी वरिष्‍ठ UN अधिकारी सिद्धार्थ चटर्जी को चीन में ‘संयुक्‍त राष्‍ट्र रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर’ के तौर पर नियुक्‍त किया है। रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर्स देश के स्‍तर पर विकास के लिए UN महासचिव के प्रतिनिधि होते हैं। सिद्धार्थ चटर्जी को अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग, मानवीय साझीदारी और शांति और सुरक्षा के क्षेत्र में 25 वर्षों का अनुभव है। इससे पहले सिद्धार्थ चटर्जी ने केन्‍या में संयुक्‍त राष्‍ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर के तौर पर काम किया है।

कोविड-19 महामारी से उबरने में देशों की मदद के लिए ये प्रतिनिधि ही UN टीमों का सहयोग करते हैं। UN इन देशों की मदद अपने सतत विकास लक्ष्‍य के तहत करता है। उधर संयुक्त राष्ट्र में बुधवार को मनाए गए ‘अंतरराष्ट्रीय नरसंहार पीड़ित दिवस’ पर भारत ने 1971 में मुक्ति संग्राम में पाक सेना और धार्मिक मिलिशिया द्वारा मारे गए तीस लाख लोगों और दुष्कर्म का शिकार हुईं लाखों महिलाओं को श्रद्धांजलि देने का आव्हान किया। यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने इसे ‘मानव इतिहास की सबसे भयावह घटना’ बताया। उन्होंने कहा-आइए, हम इन पीड़ितों को श्रद्धांजलि दें और उम्मीद करें कि काश अब ऐसा कभी नहीं हो। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा, नरसंहार सबसे घृणित अपराधों में से एक है।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग भारत पिछले काफ़ी वक़्त से लगातार कर रहा है। भारत सुरक्षा परिषद में बतौर सदस्य अपनी दावेदारी भी रख रहा है और पिछले कुछ वक़्त से लगातार भारत इन सुधारों की माँग अलग-अलग मंचों से करता रहा है। दुनिया के कई देश सुरक्षा परिषद में भारत को बतौर सदस्य शामिल करने के पक्षधर भी हैं, लेकिन इस बाबत अभी तक कोई ठोस क़दम उठाया नहीं गया है।

संयुक्त राष्ट्र में सुधारों और सुरक्षा परिषद के विस्तार को लेकर भारत का रुख थोड़ा आक्रामक दिखाई दे रहा है। हाल के दिनों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई वरिष्ठ राजनयिक और मंत्री संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और सुधारों में इस संस्था की नाकामी को लेकर तल्ख टिप्पणियां भी कर चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की पहल को लेकर हालिया वक़्त में भारत का रवैया काफ़ी आक्रामक हुआ है।

भारत का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र मौजूदा वक़्त की हक़ीक़त के मुताबिक़ ख़ुद को तब्दील नहीं कर पाया है। भारत कई वर्षों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए सक्रियता से कोशिशें कर रहा है। सुरक्षा परिषद में चीन को छोड़कर बाकी चारों स्थाई सदस्य भारत की दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं। यूएन की 75वीं सालगिरह के मौक़े पर यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “यूएन की निर्णय करने वाली व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए भारत को कितना इंतज़ार करना पड़ेगा?

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