Home State मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का दावा- रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल...

मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का दावा- रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर बढ़वाते थे TRP

537
0
  • मुंबई पुलिस ने बताया- रिपब्लिक के प्रमोटर और डायरेक्टर के खिलाफ जांच की जा रही है।
  • रिपब्लिक ने आरोपों को झूठा बताया, कहा- पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेंगे।

मुंबई। मुंबई पुलिस ने गुरुवार को फॉल्स टीवी चैनल टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर टीआरपी खरीदते थे और अपनी टीआरपी बढ़वाते थे। इस मामले में 2 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन चैनलों से जुड़े लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। उधर, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

कमिश्नर ने कहा कि हमें ऐसी सूचना मिली थी कि फेक प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने छानबीन की और इस रैकेट का भंडाफोड़ किया। रिपब्लिक के प्रमोटर और डायरेक्टर के खिलाफ जांच की जा रही है। हिरासत में लिए गए लोगों ने यह बात कबूल की है कि ये चैनल पैसे देकर टीआरपी बदलवाते थे।

कैसे चलता था टीआरपी का खेल?
मुंबई पुलिस कमिश्नर ने बताया कि जांच के दौरान ऐसे घर मिले हैं, जहां टीआरपी का मीटर लगा होता था। इन घरों के लोगों को पैसे देकर दिनभर एक ही चैनल चलवाया जाता था, ताकि चैनल की टीआरपी बढ़े। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ घर तो ऐसे पता चले हैं, जो बंद थे, उसके बावजूद अंदर टीवी चलते थे। एक सवाल के जवाब में कमिश्नर ने यह भी कहा कि इन घर वालों को चैनल या एजेंसी की तरफ से रोजाना 500 रुपए तक दिए जाते थे। मुंबई में पीपुल्स मीटर लगाने का काम हंसा नाम की एजेंसी को दिया हुआ था। इस एजेंसी के कुछ लोगों ने चैनल के साथ मिलकर यह खेल किया। जांच के दौरान हंसा के पूर्व कर्मचारियों ने गोपनीय घरेलू डेटा शेयर किया।

रिपब्लिक टीवी ने कहा- ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं

रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ झूठे आरोप लगाए हैं जो कि बेबुनियाद हैं, क्योंकि हमने सुशांत सिंह राजपूत केस में उनकी जांच पर सवाल उठाए थे। रिपब्लिक टीवी मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस करेगा। भारत के लोग सच जानते हैं। सुशांत केस में मुंबई पुलिस कमिश्नर की जांच सवालों के घेरे में थी। पालघर केस हो, सुशांत मामला हो या फिर कोई और मामला रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टिंग के चलते ही ये कदम उठाया गया है। इस तरह से निशाना बनाने की कोशिश रिपब्लिक टीवी में मौजूद हर व्यक्ति के सच तक पहुंचने के संकल्प को और मजबूत करेगी। BARC ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं किया है, ऐसे में परमबीर सिंह का यह कदम पूरी तरह उन्हें उजागर कर रहा है। उन्हें आधिकारिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए। वे अदालत में हमारा सामना करने के लिए तैयार रहें।’

समझिए क्या होती है टीआरपी?

कैसे तय होती है टीआरपी
टीआरपी का फुल फार्म टेलीविजन रेटिंग पॉइंट है। यह एक ऐसा तरीका है जिसकी मदद से पता चलता है कि दर्शक क्या देख रहे हैं। इससे किसी भी टीवी कार्यक्रम की लोकप्रियता को समझने में मदद मिलती है। यानी यह पता चलता है कि कौन सा चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। जिस चैनल को जितने ज्यादा लोग देखेंगे, जितनी देर तक देखेंगे उसकी टीआरपी उतनी ही ज्यादा होगी।

क्यों अहम है टीआरपी
टीआरपी से विज्ञापनदाता को यह पता चलता है कि किस कार्यक्रम में एड दिखाने से ज्यादा लोग देखेंगे। सीधा कहा जाए तो जिस कार्यक्रम की टीआरपी ज्यादा उसे ज्यादा दरों पर ज्यादा एड मिलते हैं। इसलिए, टेलीविजन की दुनिया में टीआरपी बेहद अहम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सालाना 34 हजार करोड़ रुपए का टीवी विज्ञापन का मार्केट है।

भारत में कौन तय करता है टीआरपी
भारत में टीआरपी का रेगुलेटर बार्क यानी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल है। यह इंटरटेनमेंट और न्यूज चैनल की अलग-अलग टीआरपी जारी करती है। इसी रिपोर्ट में सुशांत केस के दौरान रिपब्लिक चैनल की टीआरपी को आज तक चैनल से ज्यादा बताया गया था।

कैसे निकलती है टीआरपी
इसके लिए वॉटर मार्क टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है। इसके तहत ब्रॉडकास्टर्स के प्रोग्राम के ऑडियो को रिलीज करने से पहले खास कोड मिक्स किया जाता है। इसे हम सुन नहीं सकते। इस कोड को डिटेक्ट करने के लिए डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे बार ओ मीटर कहते हैं। इसे लोगों के घरों में इंस्टॉल किया जाता है। बार ओ मीटर टीवी से निकलने वाले ऑडियो के अनुसार ये डिटेक्ट करता है कि कौन सा चैनल प्ले हो रहा है। इस आधार पर पूरा डेटा निकालकर, टीआरपी रेटिंग जारी की जाती है।

क्या है बार्क ?
बार्क का पूरा नाम ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल है। ये एक जॉइंट कंपनी है, जिसमें देश के ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाता और मीडिया एजेंसियां शामिल हैं। बार्क इंडिया तकनीक से टीवी ऑडियंस का सटीक आंकड़ा देती है। इसके डेटा और इनसाइट टेलीविजन इंडस्ट्री में कई फैसले लेने में मदद मिलती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here