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विश्व योग दिवस पर कला प्रेमी गुरु स्वरूप श्रीवास्तव ने किया चित्रकार हुसैन को याद, साझा की स्मृतियाँ

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नई दिल्ली। कैनवास पर तूलिका से 96 साल की उम्र तक लगातार चित्रकारी का अद्भुत नमूना पेश करने वाले विश्व विख्यात चित्रकार एमएफ हुसैन अपनी चित्रकारी में भी योग को महत्वपूर्ण मानते थे। विश्व योग दिवस के मौके विश्व प्रसिद्ध कला प्रेमी गुरु स्वरूप श्रीवास्तव ने योग से जुड़ी एमएफ हुसैन की कुछ स्मृतियां साझा की एक ट्वीट के माध्यम से हुसैन की एक फोटो पर उन्होंने लिखा कि हुसैन पेंटिंग हमेशा वज्रासन मैं बैठकर बनाते थे वे कहते थे वज्रासन कैनवास पेंटिंग के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है।

हुसैन से नजदीकियां मेरा सौभाग्य
अपने अनुभवों को साझा करते हुए गुरु स्वरूप कहते हैं मकबूल फिदा हुसैन जिन्होंने अपनी चित्रकारी के जरिए विश्वभर में ख्याति प्राप्त की, उनसे नजदीकियां मेरे लिए सौभाग्य की बात रही। इन नज़दीकियों के परिणामस्वरुप ही 100 पेंटिंग 100 करोड़ में दुनियां का सबसे महंगी पेंटिंग खरीदने का सौदा हुसैन साहब से करने का मौक़ा मिला।

वज्रासन में बैठकर कैनवास पर चित्रकारी करते चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन

2000 पेंटिंग पर जब हुसैन ने किये हस्ताक्षर
गुरु स्वरूप कहते हैं कि सेरीग्राफ टेक्निक से तैयार हुई उनकी 2000 पेंटिंग मैंने उनसे खरीदी थी वर्तमान में उस एक पेंटिंग की कीमत ₹7,50,000 है। इन पेंटिंग की खास बात यह है कि प्रत्येक पेंटिंग पर एम एफ हुसैन के अपने हस्ताक्षर हैं और सभी पर यह हस्ताक्षर उन्होंने स्वयं मेरे निवास पर आकर किए थे। उस दौरान भी उन्होंने वज्रासन में बैठना पसंद किया। उन्होंने बताया था कि हल्का भोजन करें और बज्र आसन में बैठें तो आपको थकान नहीं होगी और इससे आपका मन भी एकचित्त होगा उन्होंने उस दिन खाने में खिचड़ी खाई और लगातार सभी पेंटिंग्स पर हस्ताक्षर किये।

विश्व प्रसिद्ध कला प्रेमी
गुरु स्वरूप श्रीवास्तव

आदर्श सेहत के लिए उनको स्मरण करना स्वाभाविक
96 साल की उम्र के बाबजूद उनकी स्फूर्ति देखते ही बनती थी वे स्वयं अपनी कार ड्राइव करते थे मुझे याद है जब में दुबई गया तो वे खुद कार ड्राइव कर मुझे रिसीव करने आये थे। इसीलिए विश्व योग दिवस के मौके पर मेरा उनको एक आदर्श सेहत के लिए उनको स्मरण करना स्वाभाविक है।

उनकी दो महत्वपूर्ण इच्छा थी जो अधूरी रह गईं वे आगरा में ताजमहल पर मून लाइट में दुनियां के प्रसिद्ध चित्रकारों को आमंत्रित कर पेंटिंग कार्यक्रम कराना चाहते थे। दूसरा वे एक आर्ट म्यजियम बनाना चाहते थे जिसका नाम और डिजाइन भी उन्होंने तय कर दिया था हुसैन स्वरुप इंटरनेशनल आर्ट म्यूजियम। इसपर हमारा प्रयास जारी है निकट भविष्य में हम उनकी इस परिकल्पना को साकार अवश्य करेंगे।

उनकी दो महत्वपूर्ण इच्छा थी जो अधूरी रह गईं वे आगरा में ताजमहल पर मून लाइट में दुनियां के प्रसिद्ध चित्रकारों को आमंत्रित कर पेंटिंग कार्यक्रम कराना चाहते थे। दूसरा वे एक आर्ट म्यजियम बनाना चाहते थे जिसका नाम और डिजाइन भी उन्होंने तय कर दिया था हुसैन स्वरुप इंटरनेशनल आर्ट म्यूजियम। इसपर हमारा प्रयास जारी है निकट भविष्य में हम उनकी इस परिकल्पना को साकार अवश्य करेंगे।

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