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शिवपाल की सपा में वापसी की तैयारी पूरी, भतीजे ने चाचा के विधायक पद खत्म करने की याचिका ली वापस

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी में शिवपाल सिंह यादव की वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं। एक तरफ जहां पूर्व मुंख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ले ली है, वहीं शिवपाल ने चिट्ठी लिखकर आभार जताया है। शिवपाल ने अखिलेश को लिखी चिट्ठी में उनके नेतृत्व की सराहना की है। लिखा कि, इससे आपके नेतृत्व में नए राजनीतिक विकल्प का जन्म होगा।

29 मई को लिखी चिट्ठी
शिवपाल सिंह यादव ने यह चिट्ठी 29 मई को लिखी है। उन्होंने लिखा- आपके (अखिलेश यादव) आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की दी गई याचिका को वापस कर दिया गया है। इस स्नेहपूर्ण विश्वास के लिए आपका कोटिश: आभार। निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक परिघटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक व साकरात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नव-राजनीतिक विकल्प व नवाक्षर का भी जन्म होगा।

मार्च में याचिका वापस ली
साल 2017 में शिवपाल यादव ने सपा के टिकट पर जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। लेकिन, एक साल बाद 2018 में शिवपाल ने अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया बना ली थी। इसके खिलाफ सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने 4 सितंबर 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल की सदस्यता रद्द करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के पास याचिका दाखिल की थी। लेकिन, 23 मार्च को प्रार्थना पत्र देकर याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया। चौधरी ने कहा कि, याचिका पेश करते वक्त कई जरुरी दस्तावेज और सबूत सौंपे नहीं गए थे, ऐसे में याचिका वापस की जाए। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने याचिका वापस कर दी थी।

नौकरशाही को कटघरे में खड़ा किया, मोदी-योगी की सराहना की
शिवपाल यादव ने कोरोनावायरस से बचाव के लिए उठाए गए एहतियाती कदम को लेकर पीएम मोदी व सीएम योगी के कामों की सराहना की। लेकिन, नौकरशाही को कटघरे में खड़ा किया। कहा कि, अफसरों ने जनप्रतिनिधियों से समन्वय पर जोर न देकर उन्हें ही घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया। अगर उनके अनुभवों को लाभ उठाते तो जो तस्वीर देखने को मिली व न मिलती। कड़ी धूप में भूखे पेट पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के लिए आवागमन साधन व पानी-भोजन उपलब्ध कराने में विफल रहे।

श्रमिक और कारोबारी तंगहाली में अपनी जान दे रहा है। प्रशानिक इंतजाम व उपेक्षा का नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश में केवल 15 दिनों में कोरोना से अधिक मजदूरों ने सड़कों पर जान गंवाना पड़ा। हालांकि, कठिन परिस्थितियों में देश के पीएम मोदी व प्रदेश के सीएम योगी द्वारा हर संभव व जरूरी कदम उठाए जा रहे, वह सराहनीय हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्रवासी मजदूरों के हितों को ध्यान में रखकर श्रमिक-कामगार कल्याण आयोग का गठन एक सराहनीय पहल है।

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