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कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल को मंजूरी

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नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामले 5 लाख पार कर गए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए सस्ती स्टेरॉइड ड्रग डेक्सामेथासोन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह दवा मिथाइलप्रेड्निसोलोन के विकल्प का काम करेगी और इसे मॉडरेट तथा गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए एक संसोधित प्रोटोकॉल जारी किया है। यह कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए है। इस महीने मंत्रालय ने कोरोना के लक्षणों की सूची को संशोधित किया था। गंध और स्वाद महसूस नहीं होने को भी कोरोना के लक्षणों में शामिल किया गया था।

इन बीमारियों में होता था इस्तेमाल
अभी तक डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल गठिया जैसी बीमारियों में जलन कम करने के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल कोरोना के उन मरीजों में किया जाएगा जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं और जिन्हें बहुत ज्यादा जलन महसूस हो रही है। यह दवा 60 साल से भी अधिक समय से बाजार में है। हाल में युनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोरोना संक्रमण से जूझ रहे 2000 से अधिक मरीजों पर इस दवा का प्रयोग किया था। इससे वेंटिलेटर पर इलाज करा रहे मरीजों में 35 फीसदी कम मौतें हुईं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस दवा का इस्तेमाल गंभीर मरीजों में डॉक्टरों की देखरेख में ही होना चाहिए।

कोरोना का बढ़ता कहर
देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आज सुबह तक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड 18552 मामले सामने आए। इस दौरान 384 लोगों ने इस महामारी के कारण दम तोड़ा और 10244 मरीज रिकवर हुए। देश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 508953 पहुंच चुकी है। इनमें से 295881 मरीज रिकवर हो चुके हैं जबकि 15685 लोेगों की मौत हो चुकी है। भारत दुनिया में कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में चौथे स्थान पर है।

क्या है डेक्सामेथासोन
डेक्सामेथासोन दवा WHO की आवश्यक दवाओं की सूची में साल 1977 से लिस्टेड है। डेक्सामेथासोन एक स्टेरॉइड है जिसका उपयोग सांस की समस्या, एलर्जिक रिएक्शन, ऑर्थराइटिस, हार्मोन या इम्यूनिटी सिस्टम डिसऑर्डर और सूजन के इलाज के लिए किया जाता है। यह दवा शरीर का नैचुरल डिफेंसिव रिस्पॉन्स को भी कम करती है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस दवा को 2104 मरीजों को दिया गया और उनकी तुलना साधारण तरीकों से इलाज किए जा रहे 4321 दूसरे मरीजों से की गई। दवा के इस्तेमाल के बाद वेंटीलेटर के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 फीसदी तक घट गई। वहीं, जिन मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा था उनमें भी मृत्यु दर 20 प्रतिशत कम हो गयी।

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