
नई दिल्ली। भारत की विदेश नीति और सुरक्षा व्यवस्था के विदेशी भी कायल हैं। ज्यादातर देश चीन के खिलाफ हैं। चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए भारत ने रणनीति बना ली है। इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वियतनाम के रक्षा मंत्री जनरल जुआन लिच के बीच वर्चुअल मीटिंग हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने पर चर्चा हुई।
वियतनामी रक्षा कर्मियों को भारत देता है प्रशिक्षण
दोनों देशों ने रक्षा मामलों में, साझेदारी में काफी वृद्धि की है। भारतीय तकनीक और आर्थिक सहयोग या आईटीईसी के तहत कई वियतनामी रक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसी संदर्भ में 2019 के अक्टूबर में, चिन मिन्ह शहर में रक्षा सचिव स्तर की 12वीं वार्षिक सुरक्षा वार्ता हो चुकी है। भारत ने 11 देशों में मोबाइल प्रशिक्षण दल प्रतिनियुक्त किए हैं, उनमें वियतनाम भी शामिल है।
रक्षा औद्योगिक सहयोग दोनों देशों के बीच चर्चा का एक नया केंद्र रहा है। भारत ने पहले से ही वियतनाम की घरेलू रक्षा विनिर्माण को मजबूत करने के लिए 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा प्रणालियों का विस्तार किया है। भारत और वियतनाम दोनों पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामता के खिलाफ काम कर रहे हैं। चीनी जहाजों को देश के आर्थिक क्षेत्र में घुसने स रोका जा रहा है। चीन को दोनों देश मिलकर जवाब दे रहे हैं।
बता दें, लंबे समय से पाकिस्तान के आतंकवाद के संरक्षक बने हुए चीन के प्रति भारत का नजरिया लद्दाख तनाव के बाद बदल गया है। वह बिना दुनिया की नजरों में आए अब चीन को उसी की चाल से एक के बाद एक पटखनी दे रहा है। जिससे वह न तो भारत का कोई विरोध कर पा रहा है और न ही कोई जवाबी कदम उठा पा रहा है। अपनी इसी रणनीति पर काम करते हुए भारत अब चीन के पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने में जुटा है। भारत चीन को चारों तरफ से घेरना शुरू कर दिया है। वहीं भारत की नीति और रणनीति सबको पसंद आ रही हैं।