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पत्नि प्रताड़ित पतियों की पुरुष आयोग बनाने की मांग

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मोदी-योगी से पत्नी प्रताड़ितों को काफी उम्मीद, पुरुष आयोग शीघ्र गठित करने की मांग की
ज्यादा प्रताड़ित पतियों ने तो होली के हुरदंग में ही संत-महंथ कमीशन बनाने को किया निवेदन
बोले बेचारे पति-सरकार की दोनों आंखों की रोशनी बराबर नहीं, कम रोशनी वाली आंख से हमें देख रही
सचमुच, मामला बड़ा गंभीर होता जा रहा है। बीवियां अपने पतियों को लल्लू और बूद्धू तो हमेशा से समझती रही हैं इसके साथ ही अब वो पतियांे के परमेश्वर कहलाने का भी अब हक छीनने लगीं हैं। पत्नियों से प्रताड़ित पति अब मामले को उच्चस्तर पर उठाने की सोच रहे हैं।
किट्टी पार्टी के सूत्रों ने बताया है कि गुपचुप तरीके से प्रताड़ित पतियों में अब आजाद हवा में सांस लेने की ललक जगने लगी है। अब वो न्याय पाने के लिए लड़ाई लड़ने का संकल्प व्यक्त किए है और इसी योजना के तहत पतियों ने महिला सशक्तिकरण और पुरूष असशक्तिकरण पर श्वेत पत्र भी जारी करने की भी मांग की है।
पतियों ने पत्नियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार महिलाओं के लिए सशक्तिकरण चला रही है और इस कारण उनको हर चीज की छूट दे रही है जबकि पति रूपी पुरुष लगातार सरकारी उपेक्षा के शिकार व बेरोजगार होते जा रहे हैं, उन्हें काम धंधा मिल नहीं रहा है।
प्रताड़ित पतियों का कहना है कि पत्नियां जब परीक्षा देने स्कूल या कॉलेज जाती हैं तो वो बच्चे को गोद में खिलाते हैं, दूध पिलाते हैं, जब वो काम करने जाती हैं तब वो घर का सारा काम भी करते हैं। उनका अत्याचार बढ़ता जा रहा है घर मंे बेड टी से लेकर खाना बनाने से बर्तन धोने व झाडू-पोछा भी अब कर रहे है। यही नहीं वो अपने मां-बाप को घर बुलवाकर गिफ्ट दिलवाती है और हमारे मां-बाप की बात नहीं सुनती तथा उन्हें घर से बाहर निकालने को कहती हैं।
कई का कहना था कि बीवियां साफ कह रही हैं कि हम रोज घर का सभी काम करते हैं तो तुम सप्ताह में सिर्फ एक दिन, वो भी अवकाश के दिन घर का सभी काम करो। हम दोनों को बराबरी का जब दर्जा है तो सिर्फ हम ही क्यों सब घर का काम करें। यही नहीं कुछ पतियों ने तो सुबकते हुए दुःखी मन से बताया कि उनकी पत्नियां न तो उन्हें परमेश्वर मानती हैं और न ही पुरातन परंपरा का पालन करते हुए हमारा नाम लेने से परहेज करती हैं। पतियों का कहना है कि अब पत्नियां उनका खूलेआम नाम भी लेने लगी हैं, जिससे उनके मन में डर-भय और असुरक्षा का भाव पैठने लगा है।
प्रताड़ित पतियों ने एक संत-महंथ कमीशन का गठन करने की मांग करते हुए निम्न बिन्दुओं की जांच करने की भी बात कही है —
 कि देश के मनीषी, थिंक टैंक, विचारक व समाजसेवक इस समस्या पर भी अपना दिमाग खपायें कि आखिर क्या कारण है कि जैसे-जैसे पत्नियां पुरानी होती जाती हैं भयानक-खूंखार-शातिर बन जाती है।
क्यों वो अपने पति को संसार का सबसे बुद्धू-मूर्ख समझती हैं और हमेशा उनको उनकी हैसियत याद दिलाने के साथ ऐसी सलाह भी देती हैं जिससे कि पतियों को श्रवण कुमार का सम्मान न प्राप्त हो सके। भले ही पति जज-वकील-अधिकारी-नेता-वैज्ञानिक-व्यवसायी या सैनिक हों उन्हें क्यों अपने पति बुद्धू लगते हैं।
 क्यों पत्नियों के पैक प्यार पर शर्तें लागू रहती हैं जिस प्रकार कि मोबाइल कंपनियां अपने सिम और रिचार्ज के लिए शर्तें लागू करने का प्रावधान करती हैं, जबकि अधिकार चालू रहता है। उनके प्यार खोलने के शर्तों में मां-बाप से दूर रहने, घर से भगाने, अनाथालय भेजने, सास-ससुर को घर बुलाने, साली को गिफ्ट देने, पूरी कमाई खु्शी-खुशी सौंपकर भूल जाने आदि-आदि भयानक व डरावने विचार छुपे रहते हैं। उनका कहना है कि स्ंत-महंथ आयोग पत्नियों का पैक प्यार की शर्तों की भी जांच करें।
बहरहाल, प्रताड़ित पतियों ने मोदी जी और योगी जी से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए पुरुष आयोग बनाने की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगायी है। अब देखना है कि आगे क्या होता है। हालांकि किट्टी पार्टी के हवाले से प्राप्त समाचारों के अनुसार आने वाले समय में यदि सरकार इस मसले पर ध्यान नहीं देती है तो पतियों के लिए आगे का रास्ता काफी दुभर हो जाएगा। उधर उड़ती सूचना मिली है कि पुरुष आयोग का अघ्यक्ष बनने को कोई पत्नी वाला तैयार ही नहीं है तब तो सरकार को संतों व मठों के विद्वानों का सहारा भी लेना पड़ सकता है। फिरहाल अब देखिए होली में होता क्या है। (व्यंग)

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