नई दिल्ली। कोरोना महामारी रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से विभिन्न सेक्टर्स को हुए भारी नुकसान की भरपाई करने के लिए RBI ने कई नई घोषणाएं कीं। इन घोषणाओं में आरबीआई का जोर विभिन्न सेक्टर्स की वित्तीय दिक्कतें दूर करने पर रहा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खासकर हाउजिंग कंस्ट्रक्शन तथा मझोले उद्योग को बड़ी राहत दी है। RBI द्वारा की गई इन घोषणाओं से देश के रोजगार मार्केट को बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। लॉकडाउन के कारण इकॉनमी को लगे झटके की वजह से भारी तादाद में नौकरियां जाने की आशंका है। ऐसे में RBI की ये घोषणाएं रोजगार बाजार के लिए संजीवनी का काम कर सकती हैं।
एक लाख करोड़ का डोज
RBI ने सिडबी को 15 हजार करोड़ रुपये, नैशनल हाउजिंग बैंक को 10 हजार करोड़ रुपये तथा नाबार्ड को 25 हजार करोड़ रुपये नकदी देने की घोषणा की। इसके अलावा, टार्गेटेड लांग टर्म रीपो ऑपरेशन (टीएलटीआरओ) के तहत लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया। इससे नॉन बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों (एनबीएफसी) और माइक्रो फाइनैंस इंस्टीट्यूशंस को फंड मिलेंगे।
टीएलटीआरओ से गुलजार होगा जॉब मार्केट
टार्गेटेट लॉन्ग टर्म रीपो ऑपरेशंस (टीएलटीआरओ) के जरिए क्रेडिट संस्थाओं को फाइनैंस मुहैया कराई जाती है। इसके तहत बैंकों को लंबे समय के लिए आकर्षक शर्तों पर फंडिंग मुहैया कराई जाती है। इससे बैंकों के पास उधारी के लिए अच्छी सुविधाएं होती हैं तो अर्थव्यवस्था को कर्ज देने के लिए भी अच्छा मौका होता है। उद्योगों के पास जितनी ज्यादा नकदी होगी, उनकी गतिविधियों में उतना ही विस्तार होगा परिणामस्वरूप रोजगारों में बढ़ोतरी होगी।
रिवर्स रेपो रेट घटने से बढ़ेगी नकदी
लोगों को कर्ज आसानी से मिले, इसलिए RBI ने रिवर्स रेपो रेट 25 बेसिस पॉइंट घटाया है। अब यह 4 से घटकर 3.75 पॉइंट होगा। इसका जॉब मार्केट पर दीर्घकालिक असर होगा। बैंक अब रिजर्व बैंक के पास अपना पैसा नहीं रखेंगे, क्योंकि आरबीआई अब पहले से कम ब्याज देगा। इसका परिणाम यह होगा कि अब बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में नकदी उपलब्ध रहेगी और ज्यादा ब्याज वसूलने के लिए वह इस पैसे को बाजार में कर्ज देगी। कंपनियों में जब पैसे जाएंगे तो उनका विस्तार होगा और इस तरह अतिरिक्त रोजगार पैदा होंगे।

बैंकों के लाभांश पर रोक
RBI ने साफ कहा है कि बैंक मुनाफे से अगले निर्देश तक लाभांश नहीं देंगे। इसके कारण बैंकों के पास पूंजी और बढ़ेगी, जिसका इस्तेमाल वह उद्योगों को कर्ज देने में करेगी। बैंक जितना ज्यादा कर्ज उद्योगों को देंगे, उद्योग अपनी गतिविधियों में उतना ही ज्यादा विस्तार करेगी, जिसके परिणाम स्वरूप जॉब मार्केट को बढ़ावा मिलना तय है।
एनबीएफसी, एमएफआई को 50 हजार करोड़
RBI ने नॉन बैंकिंग फाइनैंसिंग कंपनियों तथा माइक्रो फाइनैंस इंस्टिट्यूशंस को टीएलटीआरओ के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। इसका सबसे ज्यादा छोटे उद्योगों और कारोबारियों को मिलेगा। चूंकि देश में सबसे ज्यादा लोग असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं और इस क्षेत्र को अधिकांश लोन एनबीएफसी तथा एमएफआई से मिलता है, इसलिए छोटे कारोबारियों के पास जितनी अधिक नकदी होगी, वह अपने रोजगार का उतना ही विस्तार करेंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को नौकरियां मिलेंगी।
नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी को 50 हजार करोड़
वर्तमान में ग्रामीण कृषको एवं ग्रामीण परिवार के जीवनार्थ नाबार्ड और सिडबी हर सम्भव सहायता व मार्गदर्शन कर रही है तथा समय समय पर आर्थिक छूट भी प्रदान करती है। RBI द्वारा 50 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलने से ये बैंक ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने को प्रेरित होंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगारों को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की स्थिति सुदृढ़ होगी।

कमर्शियल रियल्टी प्रॉजेक्ट लोन को एक्सटेंशन
RBI ने कमर्शियल प्रॉजेक्ट लोन को एक साल का एक्सटेंशन दिया है। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी राहत मिली है। रियल एस्टेट क्षेत्र में भारी संख्या में कामगार काम करते हैं। इसलिए रियल एस्टेट क्षेत्र में तरलता बढ़ने का भी जॉब मार्केट पर असर दिखेगा।
रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं
RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और यह 4.40 फीसदी पर बरकरार रहेगी। पिछली कई तिमाहियों का रेपो रेट का यह सबसे निचला स्तर है, जिससे उद्योगों को काफी कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराया जा रहा है। इसका मकसद उनकी गतिविधियों में इजाफा करना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके।
जरूरत पड़ी तो TLTRO-2
RBI ने स्पष्ट किया है कि अगर सिस्टम में कैश की किल्लत होती है तो वह और टीएलटीआरओ जारी करेगा। इससे उद्योगों को कर्ज देने के लिए और अधिक नकदी उपलब्ध हो सकेगी, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।