प्रयागराज। निजामुद्दीम मरकज में जुटे तबलीगी जमात के लोगों ने जानलेवा कोरोनावायरस को देशभर में फैलाया। जिस कारण दिल्ली में बहुतायत संख्या में जमात के लोग पॉजिटिव निकले। उसके बाद देश के अन्य शहरों में भी पुलिस ने छापेमारी शुरू की और जमातियों को बाहर निकाला। इनमें से ज्यादातर लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। उसके बाद मौलाना साद का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कह रहे थे कि ये कोई कोरोना बीमारी नहीं बल्कि मुसलमानों के प्रति साजिश हैं और हम मस्जिद के भीतर ही मर जाएं तो इससे अच्छा क्या होगा। ऐसे ही लोग समाज और धर्म का नाम बदनाम करते हैं। मौलाना साद को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। वहीं, यूपी पुलिस ने इलाहाबाद में मौजूद एक प्रोफेसर समेत 30 जमातियों को गिरफ्तार किया है। हैरत की बात यह है कि प्रोफेसर साहब ने ही इन लोगों को पनाह दे रखी थी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हैं प्रोफेसर
प्रोफेसर का नाम आने के बाद एक सवाल पैदा होता है कि क्या पढ़े-लिखे लोग भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते । ये प्रोफेसर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हैं और इनका नाम शाहिद हैं। पुलिस ने कार्रवाई कर 16 विदेशी जमातियों समेत कुल 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। विदेशियों की गिरफ्तारी फॉरेनर्स एक्ट के तहत की गई है। प्रोफेसर शाहिद को जमातियों को चोरी-छिपे शहर में शरण देने के आरोप में और महामारी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार किया गया है।

अब क्या फर्क रह गया मौलाना और प्रोफेसर में
अगर एक प्रोफेसर ऐसा काम करता है तो फिर मौलाना साद और प्रोफेसर शाहिद की भूमिका में क्या फर्क रह गया? मौलाना साद भी जमातियों को छिपाते रहे। पुलिस बार-बार अपील करती रही कि छिपिए मत, सामने आएं और अपना चेकअप कराएं, अगर पॉजिटिव हैं तो अपना इलाज कराएं लेकिन किसी ने भी पुलिस की नहीं सुनी क्योंकि उनको वर्दी से ज्यादा मौलानाओं पर विश्वास था। इसका नतीजा यह हुआ कि पुलिस ने छापेमारी कर तमाम लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया और फिर चेकअप कराया। सभी के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे भी दर्ज किए गए।
अब बात करते हैं प्रोफेसर शाहिद की। हमारे समाज में टीचर्स का एक ओहदा होता है। वह बच्चों को अच्छी तालीम देते हैं ताकि भारत के भविष्य अच्छी शिक्षा पाकर मुल्क का नाम रोशन करें लेकिन प्रोफेसर शाहिद ने अपने इतने बड़े ओहदे को एक गलती से छोटा कर दिया। प्रोफेसर होने के नाते उनको हर चीज की जानकारी होगी। वह समझते होंगे कि ये कितनी भयंकर आपदा है जो पूरे विश्व में फैली हुई है। इसका कोई इलाज नहीं है। देश में लॉकडाउन चल रहा है और बंदी होने की वजह से हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है। लेकिन सरकार ने हमारी जिंदगियों को बचाने के लिए एक बार भी नहीं सोचा कि अर्थव्यवस्था का क्या होगा। लेकिन मौलाना साद और प्रोफेसर शाहिद जैसे लोगों ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं समझी।
कोरोना वॉरियर्स का नहीं है ख्याल
आज हजारों पुलिसवाले, डॉक्टर्स इस कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं। वे उसी वायरस के बीच रहकर उसी को हराने में लगे हुए हैं लेकिन अगर समाज ही उनका सहयोग नहीं करेगा तो ये लोग भी हार जाएंगे। अब तक कितने पुलिसवाले और डॉक्टर्स इस वायरस की चपेट में आ गए हैं और कइयों की तो मौत भी हो चुकी है लेकिन वे बेपरवाह होकर हमारी हिफाजत में लगे हुए हैं। वे लोग खुद अपील कर रहे हैं कि हम लोग आपके लिए घर से बाहर हैं आप लोग घरों में रहिए और सुरक्षित रहिए।