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दिल्ली-NCR में कम तीव्रता वाले ये छोटे झटके बड़े भूकंप का संकेत हैं

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एनसीआर में पिछले डेढ़ महीने में कम से मध्यम तीव्रता के कई भूकंप महसूस किए गए हैं।
आने वाले दिनों में किसी बड़े भूकंप की आहट हो सकते हैं छोटे-छोटे भूकंप।
एनसीआर में 6.0 तीव्रता का भूकंप हो सकता है विनाशकारी।
कई बिल्डिंगों में भूकंपरोधी मानकों का नहीं किया गया है पालन।

नई दिल्ली। NCR में पिछले डेढ़ महीने में कम से मध्यम तीव्रता के कई भूकंप महसूस किए गए हैं। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस इलाकों में कोई बड़ा भूकंप आ सकता है। कुछ भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि कम तीव्रता वाले ये भूकंप किसी विनाशकारी भूकंप की आहट हो सकते हैं।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के प्रमुख का कहना है कि हम भूंकप के समय, जगह और तीव्रता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं लेकिन इतना तय है कि एनसीआर में जमीन के नीचे लगातार भूगर्भीय हलचल हो रही है और इससे दिल्ली में बड़ा भूकंप आ सकता है।

जोन-4 में है दिल्ली
दिल्ली भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील इलाके में है और एनसीआर का इलाका करीब 573 वर्ग मील में फैला है। एनसीआर में करोड़ों लोग रहते हैं। जम्मू आईआईटी के प्रोफेसर चंदन घोष का कहना है कि भूकंप दिल्ली-एनसीआर में भारी तबाही ला सकता है। उन्होंने कहा, हर कोई जानता है कि दिल्ली जोन-4 में है और यहां भूकंप का खतरा है। इसके बावजूद अधिकांश बिल्डर बीआईएस के मानकों के मुताबिक बिल्डिंग नहीं बनाते हैं। आर्किटेक्ट और बिल्डरों के बीच सांठगांठ है जिससे वे मानकों के साथ समझौता करते हैं। ऐसे में अगर किसी दिन उच्च तीव्रता का भूकंप आया तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे।

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मुताबिक एनसीआर में कई बिल्डिंगें भूकंपरोधी मानकों के अनुरूप नहीं बनी हैं। 29 मई को दिल्ली में 4.5 तीव्रता वाला भूकंप आया था। प्रोफेसर घोष ने कहा कि दिल्ली में 6.0 तीव्रता का भूकंप विनाशकारी हो सकता है। ऐसा हुआ तो कई इमारतें जमींदोज हो जाएंगी। पिछले 54 दिनों में दिल्ली और आसपास के इलाके में छह बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं। भूकंप का छठा झटका बुधवार को लगा। इसका केंद्र गौतमबुद्ध नगर जिले में नोएडा के 19 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में था। इसकी तीव्रता 3.0 थी।

अलग-अलग राय
नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के चीफ जी एल गौतम कहते हैं भूकंप जिनकी तीव्रता 4.0 से कम होती है उनसे नुकसान की संभावना बेहद कम होती है। यह हल्की एडजेस्टमेंट का नतीजा है जो खतरनाक नहीं होते। दिल्ली के आसपास ऐसी कोई फॉल्ट प्लेट नहीं है, जिसपर प्रेशर इस समय काफी ज्यादा हो। इसी वजह से इसे सिस्मिक जोन-4 में रखा गया है। नेपाल में आए भूकंप का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि उस तरह के भूकंप उदाहरण है कि हिमालय रीजन में प्रेशर बढ़ रहा है।

भूकंप को लेकर हुई कुछ स्टडी में यह दावा किया गया है कि इस तरह के छोटे भूकंप के झटके बड़े भूकंप की आहट होते हैं। अमेरिका की लॉस अलामॉस नैशनल लेबोरेट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल केलिफॉर्निया में 4.0 तीव्रता के झटकों से पहले इसी तरह के कुछ हल्के झटके महसूस किए गए थे। साउथ केलिफॉर्निया में 2008 और 2017 में 4.0 तीव्रता से अधिक के झटके महसूस किए गए। इनमें से 72 फीसदी बार इन भूकंप से पहले हल्के झटके महसूस किए गए थे।

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