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पर्यावरण संरक्षण के लिए पांच तत्वों का संतुलन जरूरी, विश्व पर्यावरण दिवस पर वेबिनार में हुआ मंथन

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आगरा। पर्यावरण को संतुलित करने की सबसे बड़ी कुंजी है पांच तत्वों का संतुलन ही और इनमें से किसी एक की भी अनदेखी पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ सकती है। विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रकल्प, ब्रज प्रांत और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर शुक्रवार को आयोजित की गई वेबिनार में वक्ताओं ने पर्यावरण को बचाने के लिए 3 घंटे से अधिक समय तक मंथन किया जिसमें इस प्रकार के कई तर्क एक्सपर्ट ने रखे। दो घंटे चली इस वेबिनार का विषय था लॉकडॉउन में पर्यावरण में आए सुधार को विकास के साथ निरंत बनाए रखने का प्रयास। मुख्य वक्ता के रूप में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रकल्प के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश जैन ने जहां पेड़ राहत एंबुलेंस चलाने पर जोर दिया, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने वाटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम को समय की सबसे बड़ी जरूरत बताया। लघु उद्योग निगम लिमिटेड, उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग ने कहा कि उद्योग, विकास और रोजगार पर बिना प्रभाव पड़े पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। वेबिनार का संचालन रावी इवेंट्स के प्रबंध निदेशक मनीष अग्रवाल और संयोजक इंजीनियर उमेश शर्मा ने किया। धन्यवाद पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के ब्रज प्रांत संयोजक रनवीर ने दिया। सहयोगी संस्थाओं के रूप में लघु उद्योग भारती, क्रिएडाई, सिविल इंजीनियर एसोसिएसन, कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग एसोसिएशन, इम्पैक्ट सोल्युशंस, टीवीआई-9 का सहयोग रहा।

पॉलीथिन का बहिष्कार कर, विकल्प तलाशने होंगे
तीन प्रकल्पों के साथ काम करना होगा। पेड़, पानी और पॉलीथिन। पेड़ और पानी को संरक्षित करना पड़ेगा। साथ ही पॉलीथिन का बहिष्कार कर उसके विकल्प को तलाशना होगा। सरकार के साथ मिलकर ग्रीन आर्मी बनानी होगी। पक्षी घरों का निर्माण भी हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए।
-राकेश जैन, राष्ट्रीय सह संयोजक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रकल्प

सरकार के साथ जनता को समझनी होगी जिम्मेदारी
जल संरक्षण को हमें घर से शुरू करना होगा। घर में प्रयोग होने वाले जल को वाटर हार्वेसटिंग के माध्यम से भूमिगत जल का स्तर ऊपर लाना होगा। साथ ही बारिश के पानी को संचित करने के लिए घर-घर में जागरूकता अभियान शुरु करना होगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के साथ ही जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
-चौ. उदयभान सिंह, राज्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार

पर्यावरण दूषित होने में उद्योगों का योगदान नहीं
पर्यावरण को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हरेक व्यक्ति की है। आगरा का पर्यावरण दूषित होने में उद्योगों का कोई योगदान नहीं है। इसके लिए शहर से हर रोज होकर गुजरने वाले पचास हजार वाहनों का प्रदूषण दोषी है।
-राकेश गर्ग, उपाध्यक्ष, लघु उद्योग निगम लिमिटेड, उत्तर प्रदेश सरकार

उद्योग जीविका हैं तो पर्यावरण हमारा जीवन
उद्योग हमारी जीविका हैं, तो पर्यावरण हमारा जीवन। आगरा के जंगलों में 90 प्रतिशत विलायती बबूल हैं। वन विभाग की जमीन पर उगने वाले बबूल के पेड़ों के स्थान पर हरेभरे फलदार वृक्ष लगाए जाने चाहिए। इससे वन्य जीव प्राणी जो शहर की ओर रुख कर रहे हैं, उन्हें भी रोका जा सकेगा।
-पूरन डाबर, चेयरमैन, एफमेक

पूरे टीटीजेड जोन को बनाया जाए इकॉनोमिलकल जोन
आगरा में बैराज समोवर घाट पर बनना चाहिए। पूरे टीटीजेड जोन को इकॉनोमिलकल जोन बनाया जाए। पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए आगरा में कौन-कौन से उद्योग लगने चाहिए, इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। आगरा में सघन वृक्षारोपण की शुरुआत होना काफी जरूरी है।
-सीए प्रमोद चौहान, सह संपर्क प्रमुख, आरएसएस, ब्रज प्रांत

एक निश्चित अवधि के बाद डीजल और पेट्रोल वाहनों पर लगे रोक
लॉकडॉउन में आए पर्यावरण के सुधार को यथावत बनाए रखना इस शहर के हरेक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। वाहनों के कारण होने वाले प्रदूषण को इलेक्ट्रनिक वाहनों के चलन से रोका जा सकता है। भारत सरकार को घोषणा करनी होगी कि एक निश्चित अवधि के बाद डीजल और पेट्रोल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाए। प्रकृति को बचाने की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ हरेक व्यक्ति की भी है।
-केशो मेहरा, सदस्य, टीटीजेड ऑथरिटी

यमुना को शुद्ध करना हो हमारी प्राथमिकता में
आगरा के बिगड़ते पर्या‍रण के लिए सिर्फ उद्योग की दोषी नहीं हैं। यमुना को शुद्ध करना हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। यमुना जो इस समय सूखे नाले के रूप में दिखाई देती है, उसमें ज्यादा से ज्यादा जल का प्रवाह होना चाहिए। शहर में अधिक से अधिक पेड़ लगने चाहिए। हमें एग्रो फॉरेसटरी पर विशेष ध्यान होगा।
-केसी जैन,अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट

आपदा हमें ले जाती है प्रकृति के नजदीक
लॉकडॉउन ने हमारा प्रकृति की ओर ध्यान आकर्षित किया है। हमें यह पता चला है कि अगर हम प्रकृति से छेड़छाड़ करते हैं, तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। कोई भी आपदा हमें प्रकृति के ओर नजदीक ले जाती है।

विश्व में जितनी भी महामारियां आई हैं, वो हमारे गलत खानपान और पर्यावरण की छेड़छाड़ के कारण फैली हैं। वैज्ञानिक रूप से देखा गया है कि जहां पीएम 2.5 से कम है, वहां पर मृत्यु दर 15 प्रतिशत कम हुई है।
-डॉ. रवि पचौरी, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

पर्यावरण संतुलन के लिए पांचों तत्वों का संतुलन जरुरी
पांच तत्वों के सामने भारत हमेशा नतमस्तक रहा। इन्हें देवता समान समझा जाता है। आज वो समय आ गया है जब पर्यावरण के संतुलन के लिए इन पांचों तत्वों को संतुलित करने की हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। भूमि, आकाश, हवा, पानी और अग्नि का संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। इन सभी का संतुलन पर्यावरण के संतुलन की सबसे बड़ी कुंजी है।
-इंजीनियर उमेश शर्मा, वेबिनार संयोजक

वृक्षारोपण में हरेक की सहभागिता सुनिश्चित हो
विश्व पर्यावरण दिवस पर यह वेबिनार निश्चित रूप से पर्यावरण को बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। ये शहर के हरेक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखने के लिए अपने स्तर से भी सक्रीय रहे। आने वाले मानूस को देखते हुए वृक्षारोपण में हरेक व्यक्ति को अपनी सहभागिता निश्चित करनी होगी।
-मनीष अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, रावी इवेंट्स

वेबिनार में मुख्य रूप से रहे शामिल
पैनेलिस्ट अमर मित्तल, सचिव इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष, नेशनल चैंबर, राजेश गोयल, अध्यक्ष, कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन, संजय अग्रवाल, अध्यक्ष क्रेडाई आगरा, भुवेश अग्रवाल, जिला अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, पर्यावरणविद् इंजीनियर अजीत फौजदार, राधाकृष्ण दीक्षित, सह संयोजक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रकल्प, प्रदीप मंगल, विभाग संयोजक, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि प्रकल्प, संदीप उपाध्याय, होटल इंडस्ट्री विशेषज्ञ, डॉ. कमल कुमार, प्रभारी, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भुवन यादव, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड, डॉ. विश्वनाथ शर्मा, वैज्ञानिक, उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड आदि उपस्थित रहे।

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