आगरा। रावी इवेंट व सामर्थ्यवान श्री सदगुरुदेव सेवा समिति द्वारा फेसबुक लाइव के माध्यम से एक समय में एक ही दिन में 108 पाठ 108 भक्तों के द्वारा एक साथ किए गए सुंदरकांड की सबसे ख़ास बात यह रही कि सभी भक्त अपने अपने घर में बैठ कर के इस पाठ को कर रहे थे इस अनुष्ठान में आगरा के ही नहीं बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी लोग साथ में जुड़े इस अनुष्ठान के करने का उद्देश्य यही है कि आज श्री हनुमान प्राकट्योत्सव हम सभी मना रहे हैं और श्री हनुमान जी महाराज से हम सभी यही प्रार्थना कर रहे हैं कि हे नाथ आप कोरोना नाम कि इस बीमारी का वध करके को हम सबकी रक्षा करें ।
यह अनुष्ठान जन कल्याण हेतु बहुत श्रद्धा भाव से किया गया जिसमें एक विशेष संपुट के द्वारा प्रभु से प्रार्थना की गई ।

हम सब का दृढ़ विश्वास है कि परमपिता परमेश्वर श्री हनुमान जी महाराज हम सबकी रक्षा अवश्य करेंगे। हनुमान जयंती के अवसर पर ऑनलाइन सुंदरकांड के पाठ में लोगों ने बहुत भक्ति में भाव के साथ अपने घर पर बैठकर ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई 108 भक्तों का लक्ष्य आयोजकों द्वारा रखा गया था जो सख्या लक्ष्य के पार रही। सुंदरकांड के पाठ के बीच-बीच में भक्तों ने भजन का भी आनंद लिया इस तरीके का यह अनूठा प्रयास वाकई समाज के लिए एक आदर्श पूजा के रूप में मील का पत्थर साबित हुआ। आयोजन में सहयोगी संस्था रावी इवेंट्स के डायरेक्टर मनीष अग्रवाल 8 अप्रैल को सुबह से ही सुंदरकांड का पाठ करने वाले लोगों के फोन आना चालू हो गए थे।
सभी ने पूरे विधि विधान के साथ अपने घर पर ही बैठकर लॉक डाउन के नियमों के पालन के साथ सुंदरकांड का पाठ किया। कहा कि इस तरीके के आयोजन भक्ति भाव से परिवारों एक सूत्र में बाँधने का काम करते हैं। घर में इस तरीके के वातावरण से घर के बुजुर्ग बच्चे सभी लाभांवित हुए पूजा के पश्चात सभी भक्तों ने अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद का वितरण भी किया। सुंदरकांड के पाठ से पूर्व इस अनुष्ठान में बैठे सभी 108 भक्तों का विधि विधान से नाम भी लिया गया पूजन के अंत में पंडित जी द्वारा सभी से लॉकडाउन का पालन करने के लिए अनुरोध किया और सरकार के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए अनुरोध भी किया।
सुंदरकांड पाठ का पठन असंख्य भक्तों के साथ संस्था के संस्थापक पं. मनीष शर्मा, राकेश शर्मा, माधव शर्मा, राघव शर्मा, रावी इवेंट के डायरेक्टर श्री मनीष अग्रवाल, शिवानी अग्रवाल, उज्जवल अग्रवाल, कृष्णा अग्रवाल, माताजी सरोज बाला अग्रवाल द्वारा विधि-विधान से किया गया।