लंदन। कोरोनावायरस संक्रमण से मुकाबला करने के लिए सभी देशों की उम्मीदें वैक्सीन पर टिकी हैं, लेकिन अब इस आशा की किरण के पीछे भी डर और असफलता की आशंका जताई जा रही है। महामारियों पर काम करने वाले दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों में से एक और COVID-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डॉ डेविड नैबारो ने कहा है कि ‘इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि इसका वैक्सीन सफलतापूर्वक बना ही लिया जाएगा, और बहुत जल्दी सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, आगामी भविष्य में इसका खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं होने वाला है और हमें इस वायरस के साथ ही जिंदा रहने के तरीके खोजने होंगे।
ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सकों में से एक 70 वर्षीय डॉ डेविड नैबारो विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत होने के साथ लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में प्रोफेसर भी हैं। लंदन में जन्में और ओन्डले स्कूल, लंदन व ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले डॉ नैबारो, इबोला के लिए संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ समन्वयक भी रहे हैं। वे यूनाइटेड नेशंस के सतत विकास और जलवायु परिवर्तन 2030 एजेंडा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष सलाहकार पद पर भी रहे हैं।
निरंतर बना रहने वाला खतरा है कोरोना
डॉ डेविड ने कहा, “जरूरी नहीं कि हम ऐसा वैक्सीन बना ही लेंगे जो हर वायरस के खिलाफ सुरक्षित और प्रभावी साबित होगा। जब वैक्सीन को बनाने की चुनौती सामने आती है तो कुछ वायरस बहुत ही ज्यादा जटिल होते हैं। इसलिए हमें निकट भविष्य के लिए भी इस कोरोना वायरस को निरंतर बना रहने वाला खतरा मानना होगा और इसके साथ ही जीवन जीने के तरीके खोजने होंगे।
वैक्सीन पर अब तक की अपडेट्स
चीन, यूरोप और अमेरिका, इजरायल, भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल बड़े स्तर चल रहा है। कुल मिलाकर 80 कंपनियां और इंस्टीट्यूट अलग-अलग चरणों में एकजुट होकर मिशन वैक्सीन में जुटे हैं। मेरिका और चीन में इंसानों पर ट्रायल शुरू हो गया है तो भारत में भी जानवरों पर ट्रायल चल रहा है।

फ्रांस की सेनोफी पाश्चर कंपनी कोरोना वैक्सीन तैयार करने में दुनिया सबसे बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है। इसमें अमेरिका की एलि लिली, जॉनसन एंड जॉनसन और जापान की टाकेडा भी शामिल है।
ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 का वैक्सीन बनाने का दावा करते हुए कहा है कि इसी साल सितंबर तक वैक्सीन आ सकता है। यहां की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने कहा है कि हमें एक डोज में ही अच्छे परिणाम मिले हैं। ऑक्सफोर्ड की टीम को अपने वैक्सीन पर इतना भरोसा है कि उन्होंने क्लीनिकल ट्रायल से पहले ही मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है।
कोराना वायरस के सीजनल फ्लू बनने का भी डर
अमेरिका के कोरोनावायरस टास्क फोर्स के डॉ एंथनी फाउची के मुताबिक इस बात की पूरी आशंका है कि कोरोना सीजनल फ्लू या मौसमी बीमारी बन जाए। साइंस मैगजीन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च में भी कुछ ऐसी ही बात सामने आई है। इसके मुताबिक, बिना वैक्सीन या असरदार इलाज के कोरोना सीजनल फ्लू बन सकता है और 2025 तक हर साल इसका संक्रमण फैलने की संभावना है।
हम सभी को सीधे तौर पर ये 3 बड़े उपाय करने होंगे
1. जिन भी लोगों और उनके सम्पर्कों में आए अन्य लोगों में इस महामारी के लक्षण दिखे तो हमें उन्हें आइसोलेट करना होगा।
2. बुजुर्गों को बहुत ध्यान से सुरक्षित रखना होगा।
3. इसके बढ़ते मामलों से निपटने के लिए अस्पताल की क्षमता सुनिश्चित करनी होगी। और, हम इस सच के साथ काम करेंगे तो स्थितियां सामान्य होने की संभावना बढ़ सकती हैं।




































