Home Uncategorized कोलकाता की चुनावी हिंसा: सियासी संग्राम में निशाने पर विद्यासागर की प्रतिमा

कोलकाता की चुनावी हिंसा: सियासी संग्राम में निशाने पर विद्यासागर की प्रतिमा

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कोलकाता। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता में रोड शो के दौरान विद्यासागर कॉलेज में तोड़फोड़ और महान समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने के बाद राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और भगवा पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप जारी है। कॉलेज में लगा सीसीटीवी काम नहीं कर रहा था और दोनों ही दल मोबाइल से रिकॉर्ड करके अपने-अपने दावे कर रहे हैं।

शाम के करीब 5:30 बज रहे थे। कॉलेज के केयरटेकर शांति रंजन मोहंती जाना चाहते थे लेकिन कुछ छात्र अभी भी लैब में थे। उसी समय कुछ छात्र वहां और मौजूद थे। उनके हाथ में काला झंडा था। इस संकट को देखकर मोहंती ने मुख्य मार्ग पर पड़ने वाले कॉलेज के दोनों ही दरवाजों को बंद कर दिया। कुछ समय बाद अमित शाह का काफिला गुजरा।

कॉलेज के अंदर मौजूद भीड़ ने लगाए बीजेपी विरोधी नारे
सूत्रों के मुताबिक कॉलेज में मौजूद भीड़ (कथित रूप से टीएमसी के सदस्य, यहां तक कि इसमें कई छात्र भी नहीं थे) ने बीजेपी विरोधी नारे लगाना शुरू कर दिया और काले झंडे दिखाए। इसके बाद रैली में मौजूद कुछ लोग रुक गए और कॉलेज के गेट की तरफ बढ़े। इसके बाद माहौल गरम हो गया। जब प्रिसिंपल गौतम कुंडु को बताया गया कि अमित शाह की रैली कॉलेज के गेट से गुजरेगी तो उन्होंने दोनों ही दरवाजों को बंद करा दिया।

कॉलेज प्रशासन ने किया दावों को ख़ारिज
कॉलेज प्रशासन ने कुछ स्थानीय लोगों के उन दावों को खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि कॉलेज के अंदर से पथराव किया गया। घटना को यादकर मोहंती कहते हैं, ‘अचानक बड़ी संख्या में लोग लोहे के गेट को जमकर धक्का देने लगे। वे कूदकर कॉलेज परिसर में आ गए। अन्य लोगों ने गेट पर लगे लॉक को तोड़ दिया। इसके बाद कई और लोग आ गए। वे लोग एकदम गुस्से में थे और उन्होंने तीन बाइक तथा दो साइकिल को आग लगा दी।’

कॉलेज के अंदर घुस गई थी भीड़
मोहंती ने कहा, ‘मैं मेन बिल्डिंग में चला गया और प्रवेश द्वार तथा क्लास रूम तक जाने वाले दरवाजे को बंद कर दिया। मैंने कॉलेज की बिजली बंद कर दी। भीड़ मुख्य दरवाजे को नहीं तोड़ सकी लेकिन उसने एक लकड़ी के दरवाजे को तोड़ दिया जो पहले कमरे तक जाता है। कोने में विद्यासागर की मूर्ति रखी थी।’ उन्‍होंने बताया कि भीड़ ने पहले फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया, इसके बाद मूर्ति को उठा लिया और बाहर ले जाकर उसे तोड़ दिया।

उन्होंने कहा, ‘और ज्यादा हिंसा के डर से मैंने पुलिस और प्रिसिंपल को फोन किया। पुलिस 10 मिनट में वहां पहुंच गई।’ पुलिस शिकायत दर्ज कराने वाली सेकंड ईयर की स्टूडेंट सुश्वेता मोकल कहती हैं कि भीड़ ‘अमित शाह जिंदाबाद’ और ‘बीजेपी जिंदाबाद’ के नारे लगा रही थी। उन्होंने दावा किया, ‘ज्यादातर लोगों ने अपने चेहरे ढक रखे थे।’ थर्ड ईयर के एक छात्र ने भी कहा कि ज्यादातर हमलावरों ने अपने चेहरे ढक रखे थे।

‘विद्यासागर का कमरा तहस-नहस’
भीड़ ने जब हमला किया तब कॉलेज के संचालन मंडल में शामिल देबाशीष करमाकर विद्यासागर की मूर्ति के पास ही बैठे थे और घर के लिए निकलने वाले थे। वह कहते हैं, ‘जब मैं बाहर आया तो देखा कि पूरा कमर तहस-नहस हो गया था। बाहर परिसर में विद्यासागर की टूटी हुई मूर्ति पड़ी हुई थी। मेरे लैपटॉप बैग को काफी नुकसान पहुंचा था। उसके रखे कई जरूरी दस्तावेज फट गए थे।’

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