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घर लेना हो तो जल्दी करें,अक्टूबर से बढ़ेंगे दाम

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बिज़नेस डेस्क।देश के प्रमुख बाजारों में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के दाम इस वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के दौरान बढ़ने की संभावना है। डिमांड में बढ़ोतरी से बिक्री की रफ्तार में तेज़ी आने की उम्मीद पर यह अनुमान लगाया गया है। जिन्हे कुछ बाजारों में डिमांड इस बीच बढ़ी है, वहां कीमतों में कमी के ट्रेंड पर रोक लगी है।

अक्टूबर में मार्केट सेंटीमेंट में बदलाव हो सकता है और रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की कीमतों में कुछ तेज़ी आ सकती है। 360 रियल्टर्स और लियासेज फोरास की रिपोर्ट में बताया गया, ‘पिछले पांच वर्षों में दिल्ली-एनसीआर में बेंगलुरु जैसे बड़े रेजिडेंशियल मार्केट्स में प्रॉपर्टी की औसत कीमत में कुछ कमी आई है, जबकि मुंबई, हैदराबाद, पुणे में कीमतें 2-3 पर्सेंट बढ़ी हैं।’

रिपोर्ट में कहा गया, ‘वित्त वर्ष 2020 के मध्य तक मार्केट सेटीमेंट में और बदलाव होने की उम्मीद है और प्राइस ग्रोथ में तेज़ी आएगी। डिमांड चढ़ने से कीमतों में बढ़ोतरी होगी।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-2019 में हैदराबाद रियल एस्टेट के लिहाज से सबसे मजबूत मार्केट के तौर पर उभरा है और इस वित्त वर्ष में भी इसमें अच्छी ग्रोथ होने की उम्मीद है। चौथे क्वॉर्टर में बेंगलुरु में प्रॉपर्टी सेल्स 4 पर्सेंट बढ़कर लगभग 8,800 यूनिट की रही। दिल्ली-एनसीआर में यह तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 3।5 पर्सेंट गिरकर करीब 13,270 यूनिट की थी। मुंबई और पुणे में सेल्स क्रमश: 0।1 पर्सेंट और 1।3 पर्सेंट की वृद्धि के साथ 18,000 और लगभग 11,200 यूनिट की थी।

रियल्टी कंपनी पूर्वांकारा के सीईओ आनंद नारायणन ने बताया, ‘सेल्स वॉल्यूम लौट रही है और हमने अपने प्रॉजेक्ट्स में कीमतों में तेज़ी देखी है। मौजूदा वित्त वर्ष में कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।’

रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) कदम उठा रहे हैं। RBI ने इस कैलंडर ईयर में दो रेट कट किए हैं और रिपो रेट घटकर 6 पर्सेंट हो गई है। के रहेजा कॉर्प के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर ओम आहूजा ने कहा, ‘RBI ने महत्वपूर्ण इंटरेस्ट रेट में कमी कर सकारात्मक रवैया दिखाया है। होमबायर्स को अब घर खरीदने में कुछ आसानी होगी।’

मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार के पॉलिसी से जुड़े उपायों का भी असर दिखना जारी रहेगा। चुनाव नजदीक होने के कारण कुछ लोग घर खरीदने का अपना फैसला टाल सकते हैं। गुड्स ऐेंड सर्विसेज टैक्स (GST), डीमॉनेटाइजेशन और RERA से रियल एस्टेट सेक्टर में बड़े बदलाव हुए हैं। इस सेक्टर में अभी लिक्विडिटी की समस्या बरकरार रह सकती है। नए हाउसिंग प्रोजेक्ट के लॉन्च भी कम होने की उम्मीद है।

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