Home Business टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार ला सकती है ई-इनवॉइस की व्यवस्था

टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार ला सकती है ई-इनवॉइस की व्यवस्था

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नई दिल्ली. 2018-19 में फरवरी तक 20 हजार करोड़ रुपए की चोरी सामने आई थी। जीएसटी अधिकारी ऐसा सिस्टम बनाने पर काम कर रहा हैं जिसमें एक निश्चित सीमा से अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों को सरकारी या जीएसटी पोर्टल पर हर बिक्री के लिए ई-इनवॉइस निकालना जरूरी होगा। शुरुआत में एक निश्चित सीमा से अधिक के टर्नओवर करने वालों को हर इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस (ई-इनवॉइस) पर एक खास नंबर मिलेगा। इसका सेल्स रिटर्न में दर्शाए इनवॉइस और चुकाए टैक्स से मिलान किया जा सकेगा। एक आधिकारिक सूत्र से यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, आगे चलकर कंपनियों को अपनी पूरी बिक्री का पूरा इलेक्ट्रॉनिक टैक्स इनवॉइस (ई-इनवॉइस) निकालना अनिवार्य हो जाएगा। एक निश्चित सीमा से अधिक के बिजनेस वाले कारोबारियों/कंपनियों को एक सॉफ्टवेयर दिया जाने वाला है। यह सॉफ्टवेयर जीएसटी या सरकारी पोर्टल से जुड़ा होगा। इससे ई-इनवॉइस निकाला जा सकेगा। अधिकारी ने बतया, इस व्यवस्था को अमल में आने से टैक्स चोरी की गुंजाइश काफी कम हो सकती है।

देश में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के करीब दो साल बाद सरकार टैक्स-चोरी रोकने के उपायों पर ध्यान केंद्रित दे रही है। ताकि जीएसटी के नियमों के पालन में इजाफा और सरकार की जीएसटी से होने वाली आमदनी बढ़ सके। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स के मेंबर (इन्वेस्टिगेशन)जॉन जोसेफ के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में फरवरी तक अधिकारियों ने 20,000 करोड़ रुपए की जीएसटी की चोरी पकड़ी गयी थी। इसमें से करीब 10,000 करोड़ रुपए की वसूली करी जा चुकी है।ये व्यवस्था इनवॉइस को टर्नओवर के हिसाब से जरूरी किया जाएगा, ताकि बिल में छेड़छाड़ न की जा सके। अधिकारी ने कहा, ई-इनवॉइस निकालने की अनिवार्यता रजिस्टर्ड कारोबारी के टर्नओवर या इनवॉइस के मूल्य के आधार पर तय की जा सकती है। वैसे विचार यह है कि यह टर्नओवर की सीमा पर आधारित हो। ताकि टैक्स बचाने के लिए कंपनियां बिल को अलग-अलग बांट कर न दिखाएं। मसलन यदि ई-इनवॉइस निकालने के लिए इसका न्यूनतम मूल्य 1,000 रुपए तय किया जाता है तो इस बात की संभावना रहेगी कि कंपनियां इसे कई बिल में बांट दें ताकि ई-इनवायस आधारित सीमा से बचा जा सके।ई-इनवॉइस निकालने का तरीका ई-वे बिल जेनरेट करने जैसा होगा। अधिकारी ने बताया ई-इनवॉइस निकालने या जनरेट करने का तरीका ठीक उसी तरह का होगा जिस तरह जीएसटी पोर्टल पर ई-वे बिल डॉट निक डॉट इन पोर्टल पर ई-वे बिल निकाला जाता है या जीएसटीएन पोर्टल पर गुड्स एंड सर्सिसेज टैक्स के भुगतान में इस्तेमाल किया जाता है। ई-वे बिल की जगह लागू होगा प्रस्तावित ई-इनवॉइस सिस्टम। ई-इनवॉइस का प्रस्तावित सिस्टम आने वाले समय में ई-वे बिल सिस्टम की जगह ले लेगा क्योंकि ई-इनवॉइस सरकार के केंद्रीकृत पोर्टल से ही निकलेंगे। फिलहाल 50,000 रुपए से अधिक मूल्य के सामान की आवाजाही के लिए ई-वे बिल निकालने की जरूरत होती है। ई-टैक्स इनवॉइस बनाने की व्यवस्था शुरू होने पर कंपनियों के लिए रिटर्न भरने के बोझ में काफी कमी आएगी। क्योंकि रिटर्न फॉर्म में इनवॉइस से संबंधित डेटा अपने-आप दिखाई देगा। इसका स्वत: मिलान संभव होगा। इससे कारोबारियों और जीएसटी अधिकारियों दोनों को सहूलियत हो सकती है।

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