
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में नेता और सेना सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। तख़्तापलटने से लेकर आतंकबाद के समर्थन की हरकतों से दुनियां बाक़िफ़ है। पाकिस्तान में सेना को चुनौती देने की हिम्मत किसी ने नहीं की, यहाँ तक कि सत्ता ने भी नहीं। लेकिन, बदलते वक्त के साथ अब फौज भी सबसे ज्यादा निशाने पर है। उसे सियासी पार्टियां सीधे चुनौती भी दे रही हैं। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के युवा अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी काफी वक्त से सक्रिय है। लेकिन, अब तो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी उनके साथ खड़े हो गए हैं। इसके अलावा मौलाना फजल-उर-रहमान भी फौज पर तंज कसने मे पीछे नहीं हैं। खास बात ये है कि इन तीनों की जुगलबंदी इमरान खान को सत्ता से हटाने की कबायद में लगी है।

बिलावल बने सूत्रधार
वर्ष 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। तभी से इमरान पर आरोप लग रहे हैं कि वे फौज के जरिए कुर्सी तक पहुंचे हैं। वहीं बिलावल दो साल से अपने भाषणों से आगाह करते आ रहे हैं। अब तो नवाज की पार्टी (पीएमएल-एन) भी इसी रास्ते पर चल पड़ी है। विपक्ष एकजुट होकर इमरान सरकार को गिराने के लिए सड़कों पर उतर चुका है। वहीं सरकार एक के बाद एक विपक्षी नेताओं को जेल में डाल रही है। नवाज ने पिछले दिनों विपक्ष की संयुक्त रैली को लंदन से संबोधित किया और कहा- फौज ने पिछले चुनाव में धांधली की। जिसकी वजह से लोगों का उस पर भरोसा टूटा चूका है। इमरान से उतनी दिक्कत नहीं है, जितनी फौज की गलत हरकतों से है। फौज के साथ ही नवाज ने आईएसआई पर भी तंज कसे।
तीन बार पाकिस्तान के पीएम रहे हैं नवाज
नवाज शरीफ 1993 में पहली बार पीएम बने। तब राष्ट्रपति ने फौज के इशारे पर उन्हें हटाया। 1999 में जब वे फिर प्रधानमंत्री बने तो परवेज मुशर्रफ ने सत्ता हथिया ली। देश में फौजी हुकूमत आई। 2017 में कोर्ट और फौज ने इमरान के आंदोलन के नाम पर उन्हें हटाया। नवाज को तीनों बार सत्ता सेना की वजह से गवानी पड़ी। अब नवाज़ इस परेशानी को खत्म करने के लिए विपक्ष को एकजुट करने में कामयाब हो रहे हैं।
फौज से टकराने को तैयार बिलावल
बिलावल भुट्टो ने फौज को सीधे तौर पर चेतावनी दी है कि वो सियासी मामलों से दूर रहे। बिलावल ने पिछले दिनों धमकी दी कि अगर फौज सरकार का समर्थन बंद नहीं करती, तो विधानसभाओं और संसद से सभी चुने हुए प्रतिनिधि इस्तीफा दे देंगे। बिलावल ने कहा- मुझे समझ नहीं आता कि पोलिंग बूथ के अंदर और बाहर फौजियों की तैनाती क्यों की गई है। गिलगित-बाल्तिस्तान को पांचवां राज्य बनाने पर हमें आपत्ति नहीं, लेकिन ये काम संसद करे, फौज क्यों कर रही है।
11 पार्टियां का एक बैनर
पिछले 20 सितंबर को पाकिस्तान के 11 विपक्षी दलों ने एक गठबंधन बनाया है। जिसके माध्यम से वे सरकार गिराने के लिए तीन चरणों में आंदोलन कर रहे हैं। इसे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम दिया गया है। बैठकों का दौर और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। वहीं जनवरी 2021 में इस्लामाबाद तक मार्च निकालने का बिगुल भी बज गया है। बिलावल और नवाज इमरान को ‘सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर’ की संज्ञा दे रहे हैं।