Home Uncategorized भारत का पहला पृथ्वी संग्रहालय किया जाएगा एनसीआर में स्थापित

भारत का पहला पृथ्वी संग्रहालय किया जाएगा एनसीआर में स्थापित

1461
0

ट्रेवल डेस्क। एडवेंचर को पसंद करने वालो के लिए खुशखबरी है, क्योंकि ऐसा ही संग्रहालय खुलने जा रहा है, जहां पर भारत के एडवेंचर इतिहास के बारे में पता चलेगा। दरअसल, भारत का पहला पृथ्वी संग्रहालय एनसीआर में स्थापित किया जाएगा। इसमें करोड़ों साल से लेकर हाल के समय तक के क्रोनिकल चट्टानों, प्रागौतिहासिक खोपड़ियां और डायनासोर जीवाश्मों के अनोखे इतिहास के बारे में बताया जाएगा।

पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और सीएसआर का सहयोग
संग्रहालय के इस प्रोजेक्ट को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और सीएसआर के सहयोग से तैयार किया जा रहा है। अगले साल मार्च में भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले 36 वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस तक बन जाएगा। इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी में संग्रहालय के लिए तौर-तरीके, द इंडियन म्यूजियम ऑफ अर्थ को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण कोरिया के विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई। इसके अलावा विचार किया गया कि अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री जैसे संग्रहालयों को विकसित देशों में कैसे डिजाइन किया जाए।

प्रयोग के तौर पर किया डिजाइन
सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक विजय राघवन का कहना है कि इस प्रस्तावित संग्रहालय को एक प्रयोग के तौर किया डिजाइन किया जाएगा। सरकार एक विश्वस्तरीय भारतीय संग्रहालय बनाने के लिए वचनवद्ध है, जिसमें प्राकृतिक इतिहास और पृथ्वी विज्ञान को लेकर लोगों की जिज्ञासा को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस विश्व स्तरीय संग्रहालय बनाने के पीछे उद्देश्य है कि लोग भारत के प्राकृतिक इतिहास को और पृथ्वी के भूवैज्ञानिक और प्राकृतिक इतिहास पर भारतीय उपमहाद्वीप के प्रभाव जान को सकें।

ऐतिहासिक जानवरों और पौधों का विशाल संग्रह
यह संग्रहालय प्रगति मैदान के पास आने वाले विशाल प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय से अलग होगा। इस संग्रहालय के लिए एनसीआर में जमीन खोजने और इसकी स्थापना को लेकर सरकार द्वारा एक उच्च स्तरीय कमेटी और विशेषज्ञों के समूह स्थापना की जानी है। भारत में ऐतिहासिक जानवरों और पौधों का विशाल संग्रह है लेकिन ये सभी देश की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में बिखरे हुए हैं, जिसमें अधिकतर उपेक्षा की स्थिति में हैं।

भारत में कई संस्थानों का दौरा करने वाले अद्वैत जुकर ने कहा कि द इंडियन म्यूजियम ऑफ अर्थ जैसी पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। संग्रहालय एक ऐसा स्थान हो सकता है, जहां पर अंतराष्ट्रीय सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है। यहां पर लोग तकनीकी कौशल ले सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here