- लद्दाख में दो दिन के दौर पर आर्मी चीफ, आज कई अग्रिम मोर्चों का करेंगे दौरा।
- लेह के मिलिट्री अस्पताल जाकर झड़प में घायल जवानों का लिया हाल।
- 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह से मुलाकात कर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा।
- पिछले हफ्ते एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया कर चुके लद्दाख और श्रीनगर हवाई अड्डों का दौरा।

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर सेना की तैयारियों का जायजा आज आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लेंगे। वह दो दिन के दौरे पर लद्दाख आए हुए हैं। बुधवार को उनका कई फॉरवर्ड एरियाज का दौरा करने का कार्यक्रम है। इस दौरान वह चीनी सेना के खिलाफ भारतीय सेना की तैयारियों को भी परखेंगे। चीन से सटे बॉर्डर की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली 14 कॉर्प्स के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह से भी विस्तृत बातचीत होगी। ले. जनरल सिंह ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष से बॉर्डर पर तनाव दूर करने को लेकर 11 घंटे बैठक की थी। जिसमें दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले सभी स्थानों से ‘आपसी सहमति’ से ‘पीछे हटने’ को राजी हुए हैं।

घायल जवानों और अफसरों से मिले आर्मी चीफ
अपने लद्दाख दौरे के पहले दिन ही आर्मी चीफ ने लेह पहुंचते ही सबसे पहले मिलिट्री अस्पताल का दौरा किया। यहां 15-16 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से झड़प में घायल 18 जवान भर्ती हैं। आर्मी चीफ ने सबसे उनका हाल पूछा और उनकी बहादुरी की तारीफ की। इसके बाद, जनरल नरवणे ने नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14 कॉर्प्स कमांडर ले. जनरल हरिंदर सिंह और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इलाके की सुरक्षा स्थिति का रिव्यू किया। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार आर्मी चीफ ने अफसरों को चीन की तरफ से किसी भी तरह के दुस्साहस से निपटने के लिए सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान जनरल नरवणे ने लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से भी बातचीत की।

लद्दाख पर आर्मी की लंबी चर्चा
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बॉर्डर पर हालात को लेकर सेना के भीतर लंबी चर्चा हुई है। पिछले हफ्ते एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने लद्दाख और श्रीनगर हवाई अड्डों का दौरा किया था। लेह रवाना होने से पहले खुद जनरल नरवणे ने सेना के टॉप कमांडर्स के दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी सेशन में हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन में पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर विस्तार से चर्चा हुई।

चीन से बातचीत के साथ-साथ तैयारी भी जारी
भारत ने चीन के साथ जहां बातचीत का रास्ता खोल रखा है वहीं डिफेंस को भी मजबूत कर रहा है। सोमवार की मुलाकात से पहले, लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की पहली बातचीत 6 जून को हुई थी। उस मीटिंग में ही दोनों पक्ष गलवान घाटी सहित संघर्ष वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर सहमत हुए थे। मगर इसके बावजूद, गलवान घाटी में 15-16 जून की रात चीनी सैनिकों ने समझौते की धज्जियां उड़ा दीं। दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया। चीन से लगे 3,488 किलोमीटर बॉर्डर पर सेना ने तैनाती बढ़ा दी है। सभी नजदीकी एयरबेसेज को अलर्ट पर रखा गया है। बॉर्डर के पास वाले बेसेज पर सेना की कई टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं।

आर्मी को पूरी छूट, भारतीय वायु सेना मुस्तैद
भारत सरकार ने रविवार को सशस्त्र बलों को पूरी छूट देते हुए लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीनी सैनिकों की किसी भी हरकत का करारा जवाब देने को कहा है। सेना पिछले एक हफ्ते में सीमा के पास हजारों अतिरिक्त सैनिकों को भेज चुकी है। 15-16 जून की घटना के बाद, भारतीय वायु सेना भी लेह और श्रीनगर सहित कई मुख्य हवाई अड्डों पर सुखोई 30 MKI, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे हेलिकॉप्टर तैनात कर चुकी है।