हेल्थ डेस्क। बच्चे मन और शरीर दोनों से नाजुक होते है। इसलिए बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते है। डेंगू बुखार बच्चों को अपनी चपेट में जल्दी ले लेता है। डेंगू का वायरस मच्छर से फैलता है। डेंगू बुखार का सहीं समय पर उपचार नहीं किया गया तो यह जानलेवा साबित भी हो सकता है। डेंगू बुखार में ब्ल्ड में मौजूद प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगते हैं। शुरुआत में बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षणों को पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन 3 से 4 दिन के बाद इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है। डेंगू बुखार में ब्ल्ड में मौजूद प्लेटलेट्स तेजी से घटने लगते हैं। डेंगू बुखार का सहीं समय पर उपचार नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
बच्चों में डेंगू बुखार होने पर ये लक्षण पाए जाते हैं। इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
लक्षणः

3- कमजोरी होना
अक्सर देखा जाता है कि डेंगू के कारण बच्चों का बीपी का लेवल लो हो जाता है। जिसके चलते वह काफी कमजोरी महसूस करते है, यहां तक कि उनमे चलने-फिरने की भी हिम्मत नहीं रहती है।

4- त्वचा पर निशान
डेंगू बुखार में बच्चों की त्वचा पर हल्के निशान दिखाई पड़ते हैं। इस निशानों को देखकर नजरअंदाज नहीं करना चहिए। क्योकि त्वचा पर निशान का पड़ना डेंगू बुखार का लक्षण भी हो सकता है, इसलिए शरीर पर निशान पड़ने पर डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
5- खांसी आना
बच्चों को लगातार खांसी आना और इसके साथ ही नाक का बहना भी डेंगू बुखार की तरफ इशारा करता है। ऐसा होने पर तुरंत ब्लड टेस्ट कराना चाहिए, ताकि डेंगू के होने या न होने की पुष्टि हो सके।
6- बदन दर्द
डेंगू बुखार में ज्यादातर सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों आदि में दर्द होता है। इसलिए इस तरह की अगर बच्चों में शिकायत होती है तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
इन उपायों से करें बचावः
1- बच्चों को डेंगूं बुखार से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ दें।
2- बच्चों को तेल और मसालेदार वाले खाने से परहेज करवाने के साथ हल्का और पौष्टिक भोजन दें।
3- घर के बाहर में नीम की पत्तियां या नारियल की छाल को जलाकर मच्छरों को दूर भगा सकते हैं।
4- घर और अपने आसपास के इलाके को स्वच्छ रखें। इसके अलावा मच्छर होने पर मच्छरदानी आदि चीजों का प्रयोग करें।




































