- फेलोपियन ट्यूब निकालने से महिलाओं में दोबारा कैंसर का खतरा हो जाता है कम
- असोसिएशन ऑफ गाइनी आंकॉलजिस्ट की ओर से केजीएमयू में हुई कॉन्फ्रेंस
- डॉक्टरों ने कैंसर को पहचनाने और तत्काल इलाज शुरू करने की सलाह भी
लखनऊ। महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल के बाद सबसे ज्यादा ओवरी का कैंसर होता है। शुरुआत में इसका पता चलने पर आसानी से इलाज भी हो सकता है, लेकिन इसमें दोबारा कैंसर होने का खतरा भी रहता है। ऐसे में बेहतर है कि कैंसर की सर्जरी में संक्रमित हिस्से के साथ फेलोपियन ट्यूब भी निकाल दिया जाए। केजीएमयू के कलाम सेंटर में शनिवार को असोसिएशन ऑफ गाइनी ऑन्कोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की ओर से हुई कॉन्फ्रेंस में आगरा की कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सरोज सिंह ने यह जानकारी दी।
डॉ. सरोज ने बताया कि ओवरी कैंसर की शुरुआत फैलोपियन ट्यूब के सिरे से होती है। ऐसे में इसे निकालने से दोबारा कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है। इस मौके पर कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि कॉन्फ्रेंस से नई तकनीक, दवा और इलाज के तरीकों का आदान प्रदान होता है। वहीं, क्वीनमेरी की विभागाध्यक्ष डॉ. एसपी जैसवार ने बताया कि महिलाओं में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। अब काफी महिलाएं कैंसर की शुरुआती स्टेज में इलाज के लिए आ रही हैं। कार्यक्रम में क्वीनमेरी की डॉ. निशा सिंह, डॉ. सुजाता देव, डॉ. रेखा सचान, डॉ. रेनू समेत कई डॉक्टर मौजूद रहीं।
मोटापा नियंत्रित करना जरूरी
दिल्ली से आईं डॉ. श्वेता गिरि ने बताया कि बच्चेदानी का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। शुरुआत में महिलाओं को गंदे पानी का रिसाव होता है और अनियमित माहवारी हो जाती है। कमर या पैर में अधिक दर्द, पेशाब में रुकावट भी इसके एक है। बड़ी संख्या महिलाएं मोटापे का शिकार हो रही है। इससे भी बच्चेदानी का कैंसर हो रहा है। अगर लाइफ स्टाइल को हेल्दी किया जाए तो काफी हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
वैक्सीन के बाद भी हो सकता है रेयर कैंसर
जयपुर की डॉ. रानू पाटनी ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन से काफी हद तक कैंसर का खतरे कम किया जा सकता है, लेेकिन वैक्सीन के बाद भी कई तरह के रेयर कैंसर हो सकते हैं। महिलाओं में तीन से पांच प्रतिशत रेयर कैंसर होते हैं। इनका कारण ह्यूमन पैपलोमा वायरस (एचपीवी) ही होता है। चिंता की बात यह है कि रेयर कैंसर के मामलों में शुरुआत में लक्षण का आभास नहीं होता। ऐसे में महिलाएं गंभीर अवस्था में अस्पताल आती हैं, जिनका इलाज कठिन हो जाता है।