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जानें सैंडविच जनरेशन क्या है ?

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लाइफस्टाइल डेस्क। कुछ समय से ये टर्म काफी सुनने में आ रहा है, सैंडविच जनरेशन 40 साल से 70 साल के लोगों की ऐसी जेनरेशन होती है जो नौकरीपेशा होने के साथ-साथ अपने बच्चों और बूढ़े माता-पिता की भी देखभाल करती है। ऐसे लोग अपनी नौकरी, बच्चों और बूढ़े माता-पिता की जिम्मेदारियां संभालते हुए बैलेंस बनाने की कोशिश करते हैं और कई बार इसी बैलेंस के चक्कर में दबाव में आ जाते हैं। इसके कारण वह टेंशन, तनाव और चिड़चिड़ाहट का शिकार हो जाते हैं। इसी जेनरेशन को सैंडविच जेनरेशन कहा जाता है।

भारत में सैंडविच जनरेशन के अहम मायने है

भारत जैसे देश में सैंडविच जनरेशन अहम मायने रखती है। यहां लगभग हर घर में (खासकर जॉइंट फैमिली) में इस श्रेणी के लोग मिलेंगे। उनके ऊपर नौकरी और अपने बच्चों के साथ-साथ बूढ़े माता-पिता की भी जिम्मेदारी है। कई लोग इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हैं और उसे अपना फर्ज भी समझते हैं। लेकिन ऐसे लोगों का आंकड़ा भी कम नहीं है जो नौकरी और अपने बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों की देखभाल को बोझ समझते हैं। यही वजह है कि वृद्धाश्रमों में बुजुर्गों की संख्या काफी ज्यादा है, जिन्हें उनकी औलाद ने छोड़ दिया।

एजवेल फाउंडेशन की रिपोर्ट

एजवेल फाउंडेशन के एक सर्वे के मुताबिक, देशभर के 71 प्रतिशत बुजुर्गों को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। पिछले साल हेल्प इंडिया की स्टडी में ये आंकड़े 60 प्रतिशत थे जो साल में बढ़कर 71 प्रतिशत हो गए। यूनाइटेड नेशन्स के मुताबिक दुनियाभर में हर 6 में से 1 बुजुर्ग व्यक्ति किसी न किसी रूप में शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। हालांकि किसी भी स्थिति में बुजर्गों के साथ बुरे बर्ताव को सही नहीं ठहराया जा सकता है।

सैंडविच जनरेशन में आने वाली चुनौतियां

1- लेकिन इस सैंडविच जेनरेशन के सामने भी काफी मुश्किलें हैं। जैसे कि बात करें जॉइंट फैमिली की, तो उसमें खाना बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि बड़ों के लिए जो खाना बनाना है वह खाना बच्चे नहीं खाएंगे। कई बार बच्चे अलग खाने की डिमांड करते हैं, जबकि बुजुर्गों के लिए उनकी सेहत के हिसाब से खान-पान का ध्यान रखने की जरूरत होती है।

2- एक बुजुर्ग व्यक्ति बच्चे के समान होता है और इसलिए उसे अतिरिक्त देखभाल और प्यार की जरूरत होती है और सैंडविच जेनरेशन के लोगों के बीच यही सबसे बड़ा चैलेंज होता है। आप न तो नौकरी छोड़कर घर बैठ सकते हो और न ही बुजुर्ग मां-बाप की अनदेखी कर सकते हो। उन्हें भी आपके प्यार और साथ की जरूरत है। वह भी सोचते हैं कि जैसे हमने अपने बच्चों को ख्याल रखा वैसे ही बच्चे भी उनके बुढ़ापे की लाठी बनें।

3- एक प्रिवेसी को लेकर भी सबसे बड़ा चैलेंज होता है। जॉइंट फैमिली में आपको अपने लिए टाइम निकालना मुश्किल हो जाता है और न ही प्रिवेसी मिलती है।

वैसे चुनौतियां चाहे जो भी हो, लेकिन बुजुर्ग माता-पिता का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। उन्हें भी आपके प्यार और दुलार की उतनी ही जरूरत है, जितनी कि कभी आपको थी।

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