नई दिल्ली। भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में मध्य रात्रि 12 बजे जन्म स्थान के गीता मंदिर में भगवान का प्राकट्य हुआ। प्राकट्य होते ही जय-जयकार गूंजने लगी। मंदिर में ठाकुर जी की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम जमा था। प्राकट्य के बाद महाआरती हुई और इसके बाद ठाकुर जी को कमल के फूल पर विराजमान कर अभिषेक स्थल तक लाया गया। रात 12:15 मिनट पर ठाकुर जी का अभिषेक शुरू हुआ। दूध, दही, शहद, घी, बूरा, यमुना जल से सेवायतों ने चादी की 51 किलो की कामधेनु गाय के पयोधरों से बाल गोपाल का अभिषेक किया। 12:30 बजे अभिषेक के बाद कान्हा को विशेष तौर पर तैयार की गई रेशम, जरी और रत्नों से जड़ी मृगांक कौमुदी की पोशाक पहनाई गई।
रात 12:40 से 12:50 बजे तक भक्तों ने भगवान के श्रंगार के दर्शन किए। रात 1:30 बजे शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए गए। इससे पूर्व रात 11 बजे श्रीगणेश व नवग्रह का पूजन किया गया। जन्माष्टमी को लेकर शहर में हाई एलर्ट था। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात थी। जन्माष्टमी पर भगवान के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु मथुरा आए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार पहली बार 125 करोड़ रुपए खर्च कर जन्माष्टमी को दीपोत्सव की तर्ज पर मना रही है। देश के 10 राज्यों से आए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। मथुरा में पहली बार जन्माष्टमी पर दही की हांडी फोड़ने के लिए मुंबई से टीम आई थी । टीम मेम्बर आशीष ने बताया कि दही हांडी 32 फीट ऊंचाई पर लगाकर इसे तोड़ा गया। मथुरा के मुख्य मंदिर से लेकर सड़क तक जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जन्माष्टमी के आयोजन में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी शामिल होना था, लेकिन पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेलटी के निधन के कारण वह दिल्ली चले गए।
देश-विदेश से जुटे भक्त
जन्माष्टमी को लेकर मथुरा की सड़कों पर भी जश्न का माहौल रहा। जगह-जगह भक्तों के लिए भंडारा हुआ। स्थानीय लोक कलाकारों ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। देशभर से आए कलाकारों ने कार्यक्रमों से लोगों का मन मोह लिया। कान्हा के जन्म के दर्शन के लिए देश-विदेश से भक्त जुटे हैं।