बॉलीवुड डेस्क. ‘पानीपत’ के मेकर्स ने भारी विरोध के बाद फिल्म से विवादित सीन को हटाने का फैसला लिया है। फिल्म में महाराजा सूरजमल के किरदार पर काफी समय से जाट समुदाय द्वारा नाराजगी जताई जा रही थी। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक फिल्म में सूरजमल के किरदार के लालची दिखाया गया है, जो की गलत है। भरतपुर पर किताब लिखने वाले इतिहासकार महेंद्र सिकरवार ने इस बात पर आपत्ती भी जताई थी। इतना ही राजस्थान में बीजेपी के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया ने भी सीन पर आपत्ति जताई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए फिल्म से 11 मिनट का विवादित सीन हटा दिया गया है। बताया जा रहा है कि राजस्थान की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा सीन अब फिल्म का हिस्सा नहीं है। गौरतलब है कि रिलीज होने के बाद से ही फिल्म विवादों से घिरी रही है। कुछ ही समय पहले फिल्म का विरोध करते हुए राजस्थान के कुछ हिस्सों में थियेटर्स में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने भरतपुर बंद का भी आह्वान किया था।
विरोध का सामना करने तैयार रहे सरकार: जाट नेता
भरतपुर के महाराजा सूरजमल की छवि को बिगाड़ने के आरोपों के बीच कई राजनेताओं ने फिल्म को बैन किए जाने की मांग की थी। भारतीय जनता पार्टी के नेता और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी मेकर्स पर तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए आंदोलन का समर्थन करने की बात कही थी। इसके अलावा राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा था कि फिल्म में महाराजा सूरजमल के किरदार का गलत चित्रण किया गया है। पूर्व सीएम ने ट्वीट किया कि स्वाभिमानी,निष्ठावान और हृदय सम्राट महाराजा सूरज मल का फ़िल्म निर्माता द्वारा फिल्म पानीपत में किया गया गलत चित्रण निदंनीय।

फिल्म का विरोध कर रहे जाट नेता नेम सिंह ने निर्देशक आशुतोष गोवारिकर और केंद्र सरकार से महाराज सूरजमल का रोल ठीकर करने की अपील की। नेम सिंह ने बताया कि फिल्म में महाराज की बेइज्जती बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर सरकार रोल में बदलाव नहीं करती है तो प्रदर्शन का सामना करने के लिए तैयार रहे। भारत से पहले अफगानिस्तान में भी फिल्म के विरोध की खबरें आईं थीं। सन 1761 में पानीपत में हुए तीसरे युद्ध पर आधारित फिल्म ‘पानीपत’ को लेकर मांग की जा रही थी कि संजय दत्त अभिनीत अहमद शाह अब्दाली के किरदार के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
फिल्म के सीन के अनुसार सदाशिव राव जब महाराज सूरजमल से अहमद शाह अब्दाली के खिलाफ युद्ध में मदद मांगने जाते हैं तो वे सहायता से इंकार कर देते हैं। फिल्म में बताया गया है कि महाराज ने मदद की एवज में आगरा के लाल किले की मांग की थी। भरतपुर पर किताब लिखने वाले इतिहासकार महेंद्र सिंह सिकरवार बताते हैं कि आगरा का लाल किला पहले ही सूरजमल की रियासत का हिस्सा था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि महाराज केवल ब्रज भाषा बोलते थे, लेकिन फिल्म में उन्हें कई भाषाओं में बात करते दिखाया है।
महेंद्र ने बताया कि युद्ध के दौरान युद्ध में सदाशिव की मौत हो गई थी और इसके बाद महाराज सूरजमल द्वारा ही औरतों और घायल सैनिकों की देखरेख की गई। उन्होंने बताया कि तीन माह तक सभी की देखभाल करने के बाद सूरजमल द्वारा भरतपुर की सेना के संरक्षण में उन्हें वापस सुरक्षित पहुंचाया गया।