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कश्मीरी पंडित सरपंच की हत्या पर कंगना रनौत ने पीएम मोदी से हिंदुओं को घाटी में बसाने की अपील

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नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा हिंदू सरपंच की हत्या के मामले में लगातार प्रतिक्रिया आ रही है। अभिनेता अनुपम खेर और क्रिकेटर सुरेश रैना के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी इस पर रोष जताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंदुओं को फिर से कश्मीर में बसाने अपील की है। उन्होंने एक विडियो जारी कर मोदी से अपील की कि पंडितों को वापस कश्मीर भेजा जाए, उन्हें उनकी जमीन दी जाए, वहां हिन्दुत्व की फिर से स्थापना की जाए। उन्होंने कहा कि अजय पंडित का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों ने सोमवार को कश्मीरी पंडित सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इससे कश्मीरी पंडितों में रोष है। अभिनेता अनुपम खेर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, ‘मैं दुखी भी हूं और गुस्सा भी। इकलौते कश्मीरी पंडितों के सरपंच अजय पंडित को कश्मीर के अनंतनाग में कल गोली मार दी गई। उन्हें मेरी तरफ से भावपूर्ण श्रद्धांजलि। जो लोग छाती पीट-पीट कर रोते हैं वे भी इस घटना के बाद से एक दम खामोश नजर आ रहे हैं। किसी की एक आवाज भी नहीं निकल रही है।’

कश्मीरी पंडितों का पलायन
सैकड़ों वर्षों तक कश्मीरी मुस्लिमों के साथ-साथ रहने वाले पंडितों को 1989 में राज्य में आतंकी घटनाओं के बढऩे के कारण जान बचाने के लिए राज्य छोड़कर भागना पड़ा था। राज्य में आतंकवादियों की घुसपैठ बढऩे से लोगों की हत्या की घटनाओं और हमलों में काफी तेजी आई थी, जिसके कारण उन्हें वहां से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था। राज्य से कश्मीरी पंडितों का पलायन 1947 में देश की आजादी के बाद होने वाले सबसे बड़े पलायनों की घटना में से एक था। यहां से निकलकर उन्होंने जम्मू के आसपास के इलाकों में बने शरणार्थी शिविरों में आश्रय लिया था। कश्मीर घाटी में अब केवल 800 के आसपास पंडित परिवार बचे हैं। तीन दशक बीत जाने के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारें कश्मीरी हिन्दुओं की घर वापसी सुनिश्चित नहीं कर पाई।

मोदी सरकार की योजना
मोदी सरकार घाटी में एक बार फिर हिंदुओं की वापसी के लिए काम कर रही है। केंद्र सरकार मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी में हिंदुओं को फिर से बसाने के लिए सुरक्षित छावनी बनाने की योजना बना रही है। भाजपा का कहना है कि वह 2-3 लाख हिंदुओं को राज्य में वापस बसाने के लिए प्रतिबद्घ है। लेकिन उनके लिए अलग शहर बसाने का व्यापक विरोध हो रहा है। अलगाववादियों से लेकर कश्मीरी पंडित नेता तक इसके खिलाफ हैं। पंडित समुदाय में एक वर्ग का मानना है कि भारी सुरक्षा के बीच अलग से एक पुनर्वास कॉलोनी बनाने का विचार अव्यावहारिक है। हर पल सुरक्षा बलों से घिरे स्थान पर रहना मुमकिन नहीं होगा।

घर वापसी पर बहस
पिछले साल केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35-A को हटा दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था। तबसे विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों की घर वापसी के सवाल पर एक गंभीर बहस छिड़ी हुई है। लेकिन कश्मीरी पंडितों को लगता है कि अभी कश्मीर में उनकी घर वापसी संभव नहीं है और न ही कश्मीर के हालात इतने सुधरे हैं कि वो अपने परिवार के सदस्यों के साथ वहां आ कर बस जाएं।

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