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भारत में कोयले का बड़ा खजाना, फिर भी क्यों करता है कोयले का आयात?

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बिज़नेस डेस्क। भारत के पास कोयले का बड़ा खजाना है। हम दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां कोयला सबसे अधिक भंडार है। फिर भी आपको यह बात हैरान करती होगी कि आखिर हम कोयले का आयात क्यों करते हैं? आइए बताते हैं आपको आखिर क्यों अपने घर में इतना कोयला होते हुए भी हम दूसरों से खरीदने को मजबूर हैं।

घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर कोयले के आयात को पूरी तरह रोकना चाहती

अप्रैल 2016 में ऊर्जा मंत्री पीयूष गोलय ने कहा, ‘हम अगले 2 से 3 साल में थर्मल कोयले का आयात पूरी तरह रोकना चाहते हैं।’ इस दावे के ठीक उलट भारत का कोयला आयात इस साल अप्रैल में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 13.4 फीसदी बढ़कर 20.72 मिलियन टन हो गया। कुल आयात में नॉन-कोकिंग कोल या थर्मल कोयले का हिस्सा 70 फीसदी से अधिक है।

सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को भी कोयला खनन की मंजूरी दी

पीयूष गोयल ने 2019-20 तक कोल इंडिया के लिए 1 अरब टन उत्पादन के साथ आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य रखते हुए कहा था, ‘हम कोयले के आयात को मंजूरी नहीं दे सकते, जबकि हमारे पास 300 अरब टन का विशाल भंडार है।’ भारत दुनिया के सबसे बड़े कोयला भंडार वाले देशों में है, लेकिन खनन में एकाधिकार प्राप्त कोल इंडिया पावर प्लांट्स, स्टील प्लांट्स, सीमेंट और फर्टिलाइजर्स यूनिट की आवश्यकताओं को पूरा करने लायक उत्पादन नहीं कर पा रही है। फरवरी 2018 में सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को भी कोयला खनन की मंजूरी दी है। कोयला क्षेत्र के 1973 में राष्ट्रीयकरण के बाद यह एक बड़ा रिफॉर्म माना जा रहा है।

कोयला उत्पादन में कई बाधाएं आ रही

पूर्व कोयला सचिव अनिल स्वरूप कहते हैं कि कोयला उत्पादन में कई बाधाएं हैं। कोयला खनन के लिए भूमि अधिग्रहण (जो राज्य सरकारों का विषय है), कई मंजूरी ( पार्यवरण और वन) और कोयला परिवहन (कोयला ढोने के लिए रेलवे रैक्स की कमी) जैसी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा इनमें से किसी के लिए नीति में हस्तक्षेप की नहीं जमीन पर ऐक्शन की जरूरत है। भारत के कोयला आयात के एक तिहाई हिस्से पर काबिज अडाणी ग्रुप ने कहा है रेल ट्रांसपोर्टेशन की चुनौती की वजह से 2021 तक कोयला आयात में अच्छी वृद्धि हो सकती है।

कोयला आयात से भारत का बुरा हाल

अधिक कोयला आयात भले ही भारत के लिए बुरी खबर हो, लेकिन यह इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। जानकार मानते हैं कि वैश्विक निर्यातकों के लिए इस साल भारत अहम बाजार होगा क्योंकि चीन प्रदूषण के खिलाफ जंग की वजह से कम कोयला आयात करेगा।

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