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पृथ्वी पर सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक पंजाब, जो है भारत का प्रमुख अन्न भंडार

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डेस्क रिपोर्ट। पंजाब (पांच नदियों की भूमि) पृथ्वी पर सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। पंजाब राज्य जिसे “देश का फूड बास्केट” और “भारत का अन्न भंडार” कहा जाता है, पिछले दो दशकों से 40 प्रतिशत चावल और 50-70 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन कर रहा है। पंजाब न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि केंद्रीय पूल में लगभग 60% खाद्यान्न का भी योगदान देता है। पंजाब राज्य में कृषि भूमि, पूंजी, ऊर्जा, पोषक तत्वों, कृषि इनपुट्स और पानी आदि के मामले में अत्यधिक सघन है। देश के केवल 1.5% भौगोलिक क्षेत्र के साथ, पंजाब ने 2001-02 के दौरान देश में गेहूं, चावल और कपास की फसलों की कुल उपज का लगभग 22% गेहूं, 10% चावल और 13% कपास का उत्पादन किया है। फिरोजपुर जिला राज्य में गेहूं और चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है। गेहूं की फसल का क्षेत्र सबसे बड़ा है। राज्य की अन्य महत्वपूर्ण फसलें चावल, कपास, गन्ना, मोती बाजरा, मक्का,जौ और फल हैं।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एफसीआई की भूमिका
एफसीआई किसानों के हितों की रक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए देश भर में खाद्यान्न वितरण और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खाद्यान्न के ऑपरेशनल और बफर स्टॉक के संतोषजनक स्तर को बनाए रखते हुए भारत की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ।

निजी क्षेत्र: एफसीआई के साथ साझेदारी करके भारत की खाद्य सुरक्षा की मजबूती
चुनिंदा प्राइवेट कंपनियों को (सरकार द्वारा मंगाई गई खुली निविदा के जरिये) किसानों की खरीद को सुविधाजनक बनाते हुए एफसीआई के गेहूं का प्रबंधन करने का काम सौंपा गया है। ये कंपनियां फ्यूमिगेशन और प्रीजर्वेशन की नई तकनीकों से लैस उच्च तकनीक युक्त साइलोज में 2-4 वर्षों के लिएखाद्यान्न का भंडारण करती हैं और इसे पूरे भारत में विशेष गाड़ियों के माध्यम से थोक में भेजती हैं। एक अनुमान के अनुसार, स्थापना के बाद से, कुछ प्रमुख निजी खाद्य भंडारण स्थलों में पिछले 5 वर्षों में किसानों से लगभग 80000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की औसत प्रत्यक्ष प्राप्ति दर्ज की गई है।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा किसानों से गेहूं की खरीदी की जाती है और भुगतान आम तौर पर 48-72 घंटों के भीतर एफसीआई द्वारा कर दिया जाता है। निजी क्षेत्र गेहूं के, जो एफसीआई की संपत्ति है, संरक्षक के रूप में कार्य करता है।

किसानों की नाकेबंदी का असर
किसानों ने आंशिक रूप से 24 सितंबर से कुछ रेल पटरियों को अवरुद्ध करना शुरू कर दिया था। उन्हें उम्मीद थी कि पंजाब सरकार किसानों के विधेयक के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ कानून ला सकती है, लेकिन वे सरकार के प्रयासों से साफ तौर पर संतुष्ट नहीं थे, हालांकि उन्होंने इस पहल का स्वागत किया था। इसलिए1 अक्टूबर से, राज्य में सभी रेल पटरियों पर नाकाबंदी को बढ़ा दिया गया।

आंदोलन पर सशस्त्र बलों का प्रभाव
पंजाब की स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को जाने वाले रेल मार्ग इससे होकर ही गुजरते हैं। चूँकि पूरे पंजाब में नाकेबंदी कर दी गई और ट्रेनों की आवाजाही रोक दी गई, इसलिए सेना, जो लेह-लद्दाख में चीनी घुसपैठ को चुनौती देने के लिएहिमालय में रसद का स्टॉक बना रही थी,ट्रकों के साथ अपनी रसद को वहां पहुंचाने के लिए स्थानांतरित कर दी गई, हालांकि ट्रक द्वारा ढुलाई करना रेलमार्ग की तुलना में दोगुना महंगा पड़ता है।

किसानों और उद्योग पर प्रभाव
अपनी जमीन पर खेती कर रहे किसानों ने उर्वरकों और अन्य कृषि इनपुट्स की कमी की शिकायत की, जबकि ये रेल से आ सकते थे। ट्रेनों के रोके जाने के कारण, उद्योगपतियों ने निर्यात की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अपनी असमर्थता की शिकायत की। निर्माताओं ने निर्माण सामग्री की अनुपस्थिति का दुख जताया।

उद्योग के लिए वित्तीय लागत
राज्य सरकार के वक्तव्य के अनुसार, उद्योग को 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।ढंडारी ड्राई पोर्ट में 13,500 से अधिक कंटेनर पड़े हुए थे। ऐसेलगभग 10,000 कंटेनर दूसरे देशों से आयातित सामान ले जा रहे हैं।

रेलवे के राजस्व पर प्रभाव
24 नवम्बर 2020 तक, आंदोलन के कारण 4000 माल गाड़ियां रद्द हुईं, जिससे भारतीय रेलवे को 2200 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ।

पॉवर प्लांट्स का शटडाउन
राज्य के व्यापक हित में, राज्य सरकार पटरियों से अवरोध हटाने के लिएकिसानों को राजी करने हेतु अपने स्तर पर पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन किसानों से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। राज्य के थर्मल पावर प्लांट ने अपने कोयला भंडार समाप्त होने की बात कही, और वे ताजा आपूर्ति के अभाव में बिजली उत्पादन को बंद करने की योजना बना रहे थे। बिजली कटौती के डर का असर पड़ता दिखा।
पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) ने भी सचेत किया था कि राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब स्थित तीन निजी स्वामित्व वाले थर्मल पावर प्लांटमें कोयले का स्टॉक जल्द ही समाप्त हो जाएगा।

अनाज आंदोलन का थमना
राज्य में रेल की आवाजाही पूरी तरह से रुकने के साथ, स्थिति ऐसी है कि राज्य में अनाज के स्टॉक का ढेर लग रहा है, चावल और गेहूं के करीब 81.46 लाख मीट्रिक टन स्टॉक जमा हो गया। राज्य की एजेंसियों के लिए इस ढेर को संभालना कठिन होगा, क्योंकि ताजे धान की फसल, जिसके लिए खरीदी शुरू हो चुकी है, पहले से ही भंडारण स्थलों पर पहुंचना शुरू हो चुकी है। 23 नवम्बर 2020 तक, पंजाब में एफसीआई के साथ-साथ राज्य एजेंसियों द्वारा 201.99 लाख मीट्रिक टन खरीदी हो चुकी है। 125.18 लाख मीट्रिक टन की कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले, रुका हुआ स्टॉक 81.46 लाख मीट्रिक टन है। (अक्टूबर 2020 के आंकड़े के अनुसार)

एफसीआई से संबद्ध निजी क्षेत्र पर प्रभाव
किसानों ने यात्री रेलों को चलने नहीं दिया और कुछ निजी थर्मल पॉवर प्लांटतथा निजी खाद्यान्न ऑपरेटर की माह ढुलाई करने वाली रेल गाड़ियों को भी रोक दिया गया, इसलिए जब तक किसान सभी रेल पटरियों से हट नहीं जाते और सभी ट्रेनों को चलने नहीं देते, रेलवे ने पंजाब के अंदर और बाहर जाने-आने वाली सभी रेलगाड़ियों को स्थगित कर दिया।

22 नवम्बर 2020 को, किसान संघों ने पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ बैठक की और उन्हें पंजाब में सभी गाड़ियों की आवाजाही का आश्वासन दिया। 24 नवम्बर 2020 शाम तक रेलों की सामान्य आवाजाही बहाल कर दी गई। मोगा में प्राइवेट प्लांट के आंदोलन के बारे में, किसान संघ ने कहा था कि वे खाली रेक को प्लांट से बाहर ले जाने की अनुमति देंगे, लेकिन लोडिंग नहीं होने देंगे। प्लांट से रेक लोडिंग की अनुमति देने के लिए जिला प्रशासन किसान संघ के साथ बातचीत कर रहा है।

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