नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी बजट में राहतों की बौछार की है। आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के बाद अब नौकरीपेशा करने वाले लोगों को ग्रेच्युटी की सीमा दोगुनी कर खिलखिलाने का मौका दिया है। पहले यह लिमिट 10 लाख की थी जो अब 20 लाख रुपये हो गई है।
- कर्मचारियों को उनके रिटायर होने के बाद सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है उद्देश्य
- आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के बाद, ग्रेच्युटी की सीमा दोगुनी होने से गदगद लोग
इसका मकसद कर्मचारियों को उनके रिटायर होने के बाद सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना होता है. कर्मचारी अगर कंपनी या संस्थान में रिटायरमेंट के बाद या फिर शारीरिक अपंगता की वजह से काम करना बंद कर दे तो उसे शर्तों के साथ ग्रेच्युटी मिलती है. ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को तभी मिलती है जो नौकरी में लगातार करीब 5 साल तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है. आमतौर पर 5 साल की सर्विस के बाद ही कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है. आमतौर पर लोगों को अपनी ग्रेच्युटी का पता नहीं होता है लेकिन इसका कैलकुलेशन बेहद आसान है. दरअसल, 5 साल की सर्विस के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है. इसके बाद सर्विस में दिए गए सालों की संख्या से भाग दिया जाता है. इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है. जो रकम बनती है वही आपकी ग्रेच्युटी है.