
ग्लोबल डेस्क। अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर में चीन ऐसे मोड़ पर आ गया है, जहां उसके लिए खुद को नुकसान पहुंचाए बिना किसी भी रणनीति पर आगे बढ़ना मुश्किल है। अमेरिका ने चीन पर व्यापारिक असंतुलन को ठीक करने के लिए कड़ा दबाव बना रखा है। इसके चलते अमेरिका की राज्य संचालित अर्थव्यवस्था के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। चीन ने इसी सप्ताह कहा है कि वह अमेरिका से होने वाले 60 अरब डॉलर तक के आयात पर टैरिफ में इजाफा करेगा। हालांकि अमेरिका की ओर से चीन से 200 अरब डॉलर तक के आयात पर टैरिफ बढ़ाए जाने के मुकाबले यह काफी कम है।
चीन के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमेरिका से ट्रेड वॉर के चलते उसकी लॉन्ग टर्म इकॉनमिक ग्रोथ को रोकने वाली हो सकती है। ऐसे में चीन अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर की स्थिति को खत्म करने का प्रयास करते हुए कोई डील करने की कोशिश कर सकता है। हालांकि पेइचिंग को इस बात का भी रिस्क है कि यदि वह अमेरिका के साथ समझौते की कोशिश करता है तो राष्ट्रवादी विचार के लोगों का विरोध झेलना पड़ सकता है।
अमेरिका की मांग है कि चीन सरकारी कंपनियों को मिलने वाली सब्सि़डी और टैक्स छूट को खत्म करे। यदि चीन ऐसा करने पर सहमति जताता है तो फिर उसके लिए यह एक तरह से रणनीतिक हार होगी। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी की चीन की अर्थव्यवस्था पर भी पकड़ कमजोर होगी। पहचान उजागर न करने की शर्त पर चीन की पॉलिसी मेकिंग से जुड़े एक शख्स ने बताया, ‘हमारे पास भी कई हथियार हैं, लेकिन हम इन सभी का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।’
हमारा उद्देश्य अमेरिका के साथ ऐसी डील करने का है, जो दोनों को स्वीकार्य हो। हालांकि इस संबंध में राज्य सूचना कार्यालय, वित्त मंत्रालय और कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। हालांकि चीन के पास अमेरिका के खिलाफ बदले के तहत उठाए जाने वाले किसी भी कदम में उसके लिए भी रिस्क है।