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ईरान ने परमाणु समझौते से बनाई दूरी

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इंटरनेशनल डेस्क। ईरान के राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम से अतिरिक्त यूरेनियम और भारी जल (हैवी वॉटर) का निर्यात रोक देगा। 2015 के परमाणु समझौते के तहत इसकी सहमति बनी थी। साथ ही उन्होंने बृहद यूरेनियम संवर्धन शुरू करने से पहले समझौते में नई शर्तों के लिए 60 दिन की समय सीमा भी तय की है। हसन रूहानी का राष्ट्र के नाम संबोधन इस ऐतिहासिक समझौते से अलग होने के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के फैसले की वर्षगांठ के मौके पर आया है।

रूहानी ने कहा कि ईरान समझौते में शेष बचे साझेदारों के साथ नयी शर्तों पर बातचीत करना चाहता है लेकिन यह भी माना की स्थिति भयावह है। उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि परमाणु समझौते में सुधार किए जाने की जरूरत है और पिछले साल किए गए उपाय प्रभावहीन रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ये सुधार समझौते को बचाने के लिए हैं न कि उसे समाप्त करने के लिए।’ ईरान के अपने परमाणु कार्यक्रम सीमित करने के बदले में 2015 के इस समझौते के तहत उस पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया गया था। अमेरिका के इस सौदे से हटने के बाद उसने ईरान पर अशक्त करने वाले प्रतिबंध फिर से लगा दिए थे जिससे गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया था।

ईरान ने अपने फैसले के बारे में ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, जर्मनी और यूरोपीय संघ के राजदूतों के जरिए इन देश के नेताओं को बुधवार को पत्र भेजा। यह सब परमाणु सौदे में हस्ताक्षरकर्ता हैं और इसको समर्थन देना जारी रखा हुआ है। रूस को भी एक पत्र दिया गया। ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ अपने रूसी समकक्ष से मुलाकात करने बुधवार को मॉस्को पहुंचे। रूहानी ने कहा, ‘अगर पांच देश बातचीत में शामिल होते हैं और ईरान को तेल एवं बैंकिंग के क्षेत्र में उसके लाभ तक पहुंचने में मदद करते हैं तो ईरान परमाणु सौदे के अनुरूप अपनी प्रतिबद्धताओं की तरफ लौट आएगा।’ हालांकि रूहानी ने यूरोपीय नेताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के माध्यम से ईरान पर और प्रतिबंध लगाने की कोशिश करने पर कड़ी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी है।

उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। जरीफ ने मॉस्को से अपनी खुद की चेतावनी अलग से जारी की। उन्होंने टि्वटर पर लिखा, ‘एक साल के धैर्य के बाद, ईरान ने उन कदमों को रोक दिया है जिन्हें जारी रखना अमेरिका ने असंभव बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि विश्व शक्तियों के पास ‘इसे पलटने के लिए सीमित समय है।’ रूहानी ने यह भी कहा कि अगर 50 दिनों में कोई कार्रवाई नहीं होती है तो ईरान अपनी अरक हैवी वॉटर परमाणु भट्टी को फिर से बनाने के चीन की अगुवाई में हो रहे प्रयास को रोक देगा। इस पर अमेरिकी की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। हालांकि व्हाइट हाउस की ओर से रविवार को कहा गया था कि ईरान की ओर से उभरते नये खतरे को देखते हुए वह अरब की खाड़ी में विमान वाहक पोत एवं बमवर्षक की तैनाती करेगा। वहीं, चीन ने ईरानी परमाणु सौदे को बरकरार रखने के लिए सभी पक्षों से अपील की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “समग्र समझौते को बरकरार रखना और लागू करना सभी पक्षों की साझा जिम्मेदारी है।’

ईरान ने 2015 में वैश्विक ताकतों के साथ यह समझौता किया था। पश्चिमी सरकारों को लंबे समय से यह डर था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के जरिए परमाणु हथियार विकसित कर सकता है। ईरान हमेशा से कहता रहा है कि उसके कार्यक्रम शांतिपूर्ण मकसदों के लिए है। सौदे की शर्तों के तहत ईरान 300 किलोग्राम से अधिक कम संवर्धित यूरेनियम नहीं जमा कर सकता।

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