नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) की किताबों की धीमी गति से छपाई होने के चलते छात्रों के पढ़ाई को प्रभावित किया है।नया सत्र शुरू होने के बाद भी एनसीईआरटी की कई किताबें छप नहीं पाईं हैं। खासकर, 10वीं और 12 के छात्र जिनका 2019-20 का शैक्षणिक सत्र का चौथा सप्ताह आ गया है लेकिन छात्र अभी भी किताबों का इंतजार कर रहे हैं। एनसीईआरटी को लगभग छह करोड़ किताबों को छापना होता है। 15 मार्च तक सभी किताबों को छापने का काम पूरा करना था।लेकिन अभी केवल 25 फीसदी ही किताबें छप कर गोदाम में तक पहुंची हैं।
आंकड़े बहुत ही चितांजनक
आंकड़े बहुत ही चितांजनक हैं, क्योंकि 10वीं की गणित की 88 फीसदी किताबों की छपाई महीने के पहले सप्ताह तक नहीं हुई थी। वहीं, 12वीं की अकाउंटेसी की दूसरी और तीसरी किताब की एक भी प्रति नहीं छपी थी। उधर, 12वीं की भौतिकी की पहली और दूसरी की 10 से 15 फीसदी किताबें ही छपी हैं।
किताबों में किया काफी बदलाव
इस बार नई किताबों के कई चैप्टर को हटा दिया गया है और कई में बदलाव किया गया है। एनसीईआरटी ने पहली बार किताबों में क्यूआर कोड की व्यवस्था की है, ताकि छात्र पढ़ाई का ऑनलाइन मैटेरियल पा सके। सूत्रों की मानें तो एनसीईआरटी ने किताबों की धीमी छपाई के चलते पुरानी किताबों का वितरण कर दिया है। पुरानी किताबों का वितरण समस्या खड़ी करेगा, क्योंकि एक ही क्लास में छात्र अलग-अलग किताबों को पढ़ेंगे।
छह करोड़ किताबों में से हुई एक-चौथाई किताबों की छपाई
एनसीईआरटी इस महीने के पहले सप्ताह तक कक्षाओं में 103 किताबों में एक भी किताब उपलब्ध नहीं करा सका। वहीं, हिंदी और उर्दू माध्यम की किताबों की हालत और भी बदतर है। इतिहासकार अर्जुन देव ने कहा कि किताबों के न मिलने के कारण उन्हें कई परिचितों के फोन कॉल आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार एनसीईआरटी की किताबों को छापने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी तरफ एनसीईआरटी छात्रों को किताबें नहीं दे पा रही है।
स्कूलों ने सीबीएसई से कहा कि बिना किसी देरी के एनसीईआरटी की किताबों का वितरण सुनिश्चित करना चाहिए। एनसीईआरटी के अधिकारी ने बताया कि प्रकाशन के विभाग के हेड किताबों के छपाई में लगे थे, वह पुस्तक मेले में भाग लेने एक सप्ताह के लिए विदेश जा रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि किताबों की कमी को लेकर एक पत्र मिला है। इस पत्र में लिखा है कि कुल छह करोड़ किताबों में से केवल एक-चौथाई किताबों की छपाई हुई है। छपी हुईं प्रतियों को केवल दिल्ली-एनसीआर में उपलब्ध कराया गया है।
हालाँकि पुरानी किताबों की आपूर्ति की जा रही है और किताबों के वितरण पर वेब पोर्टल भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। एनसीईआरटी के प्रकाशन विभाग के अधिकारी के अनुसार प्रिंटिंग पेपर की खरीद में समस्या एक कारण हो सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि कोई और समस्या तो नहीं है। एनसीईआरटी के प्रकाशन विभाग के पूर्व प्रमुख ‘पी राजा कुमार’ के अनुसार, पेपर की खरीद और किताबों में संशोधन के कारण देरी हो सकती है। पहले हम बोर्ड परीक्षा के छात्रों के लिए किताबों की छपाई को प्राथमिकता देते थे।