Home health नक्सलियों के गढ़ में 23 साल की कीर्ता दोर्पा ने खोला पहला...

नक्सलियों के गढ़ में 23 साल की कीर्ता दोर्पा ने खोला पहला मेडिकल स्टोर

1169
26

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रिमोट इलाके में स्थित अबूझमाड़ जंगल नक्सलियों का गढ़ है। इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं और दवाइयों के लिए 23 साल की आदिवासी युवती ने पहली बार मेडिकल स्टोर खोला है। इस दुर्गम इलाक मे एचआईवी इंफेक्शन का प्रभाव रोकने वाली पीईपी दवाइयों की जरूरत है।

मुरिया जनजाति की कीर्ता दोर्पा ने नारायणपुर जिले के ओरछा में अपना स्टोर खोला है। जिले के 3,900 वर्ग किलोमीटर में फैले अबूझमाड़ को नक्सली लिबरेटेड जोन कहते हैं, यहां सरकारी सुविधाएं दूर-दूर तक नहीं हैं। इस वजह से यहां के लोगों को केमिस्ट की दुकान के लिए 70 किमी से ज्यादा का सफर करना पड़ता है।

कीर्ता का मेडिकल स्टोर इंद्रावती नैशनल पार्क के जंगल के बीचोंबीच है। कुछ महीने पहले यहां जन औषधि केंद्र बंद हो गया था जिसके दोबारा खुलने के कोई आसार न देख कीर्ता ने मेडिकल स्टोर खोलने का फैसला किया। कीर्ता ने बताया कि वह यहां के स्थानीय लोगों के पास गईं और उनसे पूछा कि उन्हें आमतौर पर से किन दवाइयों की जरूरत पड़ती है। अब यहां पर वह सब कुछ है।

लोगों का पैसा, समय बचेगा मुझे ख़ुशी है: कीर्ता
कीर्ता बताती हैं, ‘इस तरह के दुर्गम इलाके में मेडिकल स्टोर खोलना आसान नहीं था। हमने इसे संभव बनाने के लिए काफी लड़ाई लड़ी। मुझे खुशी है कि मेरे लोग और इस इलाके के निवासियों को अब दवाइयां खरीदने के लिए दूर तक यात्रा नहीं करनी होगी। इससे पैसा, समय और शायद लोगों की जिंदगियां बच सकेंगी।’ ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मुफ्त दवाइयां उपलब्ध हैं लेकिन इन्हें ठीक तरह से स्टॉक करने की सुविधा नहीं है। इस वजह से नक्सली इलाके में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र चलाना एक बड़ी चुनौती है।

लोगों के लिए वरदान है मेडिकल स्टोर
नारायणपुर सीएमओ डॉ। आनंद राम ने कहा कि यह मेडिकल कॉलेज ग्रामीणों के लिए वरदान है। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (कीर्ता) ने मेडिकल स्टोर खोलने के लिए एक फार्मासिस्ट से साझेदारी की है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाइयां की संख्या अधिक है लेकिन फिर भी कई बार दवाइयों की कमी पड़ जाती है। ऐसे में मेडिकल स्टोर से लोगों की जरूरतें पूरी हो सकेंगी।’

कीर्ता मेडिकल स्टोर खोलने के लिए स्थानीय लोगों को धन्यवाद देती हैं। वह कहती हैं कि स्थानीय सरपंच और लोगों के बिना यह संभव नहीं था, जिन्होंने उन्हें कठिन समय में भी प्रोत्साहित किया।

26 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here