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पीएम मोदी ने वाराणसी से दाखिल किया नामांकन, एनडीए संग दिग्गजों का शक्ति प्रदर्शन

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वाराणसी। लोकसभा चुनाव 2019 के महासमर में वाराणसी सीट पर देशभर की निगाहें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी लोकसभा सीट पर नॉमिनेशन के पांचवें दिन कलेक्ट्रेट में नामांकन दाखिल किया। कलेक्टर रूम में दाखिल होते ही उन्होंने सभी प्रस्तावकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महिला प्रस्तावक अन्नपूर्णा शुक्ला के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मोदी ने इससे पूर्व बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया था। इसके बाद उन्होंने काशी के कोतवाल (काल भैरव) के दर्शन किए। पूजा-अर्चना के बाद वह नामांकन के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के दिग्गजों का पहले से तांता लगा हुआ था। कलेक्ट्रेट पहुंचे पीएम मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और अन्य सभी नेताओं का अभिवादन किया। पीएम मोदी का नामांकन पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने प्राप्त किया।

2014 में वाराणसी से मोदी महाविजय मिली
2014 के लोकसभा चुनाव में जनता ने नरेंद्र मोदी को ‘महाविजय’ सौंपी थी। वह पीएम बने, पांच साल का कार्यकाल पूरा किया और एक बार फिर वह वाराणसी सीट से ही चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार (2014) पीएम मोदी का मूल्यांकन लोगों ने गुजरात मॉडल के आधार पर, उनकी लोकप्रियता के हिसाब से किया था। इस बार वाराणसी के लोगों के सामने बतौर सांसद और प्रधानसेवक प्रधानमंत्री मोदी का कामकाज भी है।

ये मोदी के प्रस्तावक
डोमराजा– जगदीश चौधरी
बीजेपी कार्यकर्ता– सुभाष गुप्ता
वाराणसी के वनिता पॉलिटेक्निक की पूर्व प्रधानाचार्य– अन्नपूर्णा शुक्ला
चौकीदार– राम शंकर पटेल

संबोधन की शुरुआत हर-हर महादेव के जयकारों से
बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में संबोधन की शुरुआत नरेंद्र मोदी ने हर-हर महादेव की जयकार से की। मोदी ने कहा, ‘मैं भी बूथ का कार्यकर्ता रहा हूं। मैंने भी दीवारों पर पोस्टर लगाए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘कल जो दृश्य मैं देख रहा था, उसमें मुझे आपके परिश्रम, आपके पसीने की महक आ रही थी। डगर-डगर में अनुभव करता था कि काशी के कार्यकर्ताओं ने इतनी गर्मी में घर-घर जाकर सबसे आशीर्वाद मांगा।’

मैंने अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई
मोदी ने कहा, ‘सरकार बनाना जनता का काम है और सरकार चलाना हमारी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी मैंने पूरी ईमानदारी से निभाई है। आपको मैं कार्यकर्ता के तौर पर हिसाब देता हूं। कार्यकर्ता के नाते पार्टी ने पांच साल में मुझसे जितना समय मांगा, जहां मांगा मैंने एक बार भी मना नहीं किया।’ नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘इस चुनाव के दो पहलू हैं। एक है काशी लोकसभा जीतना, मेरे हिसाब से यह काम कल (गुरुवार) पूरा हो गया है। एक काम अभी बाकी है, वह है पोलिंग बूथ जीतना और एक भी पोलिंग बूथ पर बीजेपी का झंडा झुकने नहीं देना।


वाराणसी में लगा रहा, एनडीए के दिग्गजों का तांता
नरेंद्र मोदी के नामांकन के लिए एनडीए घटकों के साथ बीजेपी के दिग्गजों का वाराणसी में तांता लगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी शुक्रवार को काल भैरव मंदिर में पूजा-अर्चना की। बीजेपी चीफ अमित शाह, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, चिराग पासवान, पलनिसामी, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, डॉ। हर्षवर्धन सिंह, अनुप्रिया पटेल, सुषमा स्वराज, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी अध्यक्ष डॉ। महेंद्र नाथ पांडेय समेत कई शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी के नामांकन में शामिल हुए।

2014 के चुनाव में, केजरीवाल, अजय राय को दी थी शिकस्त
वर्तमान में वाराणसी में करीब 18 लाख वोटर और 34 लाख की कुल आबादी है। पूर्वांचल के कई नेता अभी केंद्र सरकार में अहम ओहदों पर हैं। राज्यमंत्री मनोज सिन्हा (गाजीपुर) और अनुप्रिया पटेल (मीरजापुर) केंद्र में मंत्री हैं। यूपी में हुए महागठबंधन के लिए वाराणसी की राह कठिन है। बीते दो चुनावों में बीजेपी को यहां बड़े अंतर से विजय मिलती रही है। 2014 में नरेंद्र मोदी को इस सीट से 5 लाख 81 हजार वोट मिले थे। मोदी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी अरविंद केजरीवाल को करीब पौने चार लाख वोटों से हराया था। अजय राय तीसरे स्‍थान पर रहे थे। राय को करीब 76 हजार वोट मिले थे।

एसपी-बीएसपी गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती
2014 के चुनाव में एसपी और बीएसपी मिलकर भी इस सीट पर कुल सवा लाख वोट के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सके थे। सियासी विश्लेषकों के मुताबिक, मोदी को हराने के लिए मुस्लिम वोटों का एकजुट रुझान केजरीवाल की ओर हो गया था, जिसके कारण केजरीवाल को सियासी फायदा भी हुआ था। इस बार यह समीकरण बदल सकता है। मुस्लिम मतदाता अजय राय की व्‍यक्तिगत छवि को देखते हुए उनके साथ जा सकते हैं। 2009 के समीकरणों पर गौर करें तो बीएसपी और एसपी के कुल वोटों की संख्या बीजेपी के प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी को मिले वोट से ज्यादा थी।

वाराणसी बीजेपी का बन चुका है गढ़
आंकड़ों पर गौर करें तो 1991 के बाद हुए सात चुनावों में 6 में बीजेपी ने जीत हासिल की है। 1991 में यहां से बीजेपी के श्रीशचंद्र दीक्षित जीते थे। बाद में शंकर प्रसाद जायसवाल बीजेपी के टिकट पर तीन बार (1996, 1998, 1999 ) चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। सिर्फ 2004 में इस सीट पर कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने जीत हासिल की थी। लेकिन फिर 2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली जिस पर 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने रेकॉर्ड मतों से जीतकर कब्जा जमाया।

यहाँ कभी कांग्रेस का भी रहा था जोर
1952, 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को वाराणसी से विजय मिली। इसके बाद 1967 में रघुनाथ सिंह को कम्युनिस्ट पार्टी के सत्य नारायण सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। 1980 में पूर्व रेलमंत्री कमलापति त्रिपाठी और फिर 1984 में कमलापति त्रिपाठी के आशीर्वाद से श्यामलाल यादव चुनाव जीते और केंद्रीय मंत्री भी बने। इसके बाद 1989 में लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री इस सीट से सांसद बने। इसके बाद 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्र को यहां से सांसद बनकर दिल्ली जाने का मौका मिला।

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