वाराणसी। पीएम नरेंद्र मोदी के रोड शो का काफिला जब वाराणसी के मुस्लिम बहुल मदनपुरा और सोनारपुरा इलाके से होकर गुजरा तो कार में सवार प्रधानमंत्री की एक झलक पाने के लिए जन सैलाव उमड़ पड़ा । हाफिज जमाल एक स्थानीय मस्जिद से बाहर निकल आए। इसी तरह से सोनारपुरा में एक अन्य मुस्लिम युवक ने पीएम मोदी की तरफ शॉल उछाला, जिसे पीएम ने शालीनता से स्वीकार कर लिया।
हाफिज जमाल ने एक अखवार से बातचीत में बताया, ‘कोई और नहीं, बल्कि मोदी ही जीतेंगे।वाराणसी में कोई और नहीं जीत सकता ।लेकिन मैं उन्हें वोट दूंगा या नहीं, यह नहीं कह सकता हूं।’ इसी तरह से मदनपुरा इलाके में भी कई सारे मुस्लिमों ने इस बात को स्वीकार किया कि वाराणसी से पीएम मोदी ही जीतेंगे, लेकिन साथ ही कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें कोई आशंका नहीं है। मुस्लिम समुदाय का रुझान पीएम मोदी की तरफ कितना होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा
मुसलमानों की भावनाओं को समझें प्रधानमंत्री’
मदनपुरा में रिजवान साड़ी आर्ट्स चलाने वाले शमीन अख्तर और नसीम अख्तर ने कहा, ‘अगर मोदीजी लोगों को जोड़ना और अल्पसंख्यकों तक पहुंचना चाहते हैं तो फिर वह क्यों साध्वी प्रज्ञा जैसे लोगों को टिकट दे रहे हैं, जो खुलेआम बाबरी मस्जिद तोड़ने का दावा करती हैं। उन्हें मुसलमानों की भावनाओं को समझना होगा।
विपक्ष का मजबूत प्रत्याशी नहीं होने से काफी निराशा’
मदनपुरा में साड़ी बुनाई केंद्र चलाने वाले बुजुर्ग मोहम्मद हामिद अख्तर ने कहा,की हमें मोदी और भाजपा से हमेंकोई शिकायत नहीं लेकिन ‘मुस्लिमों की याद केवल चुनाव के वक्त ही क्यों आती है, बीच के पांच सालों में क्यों नहीं आती? क्या किसी को भी खत्म हो रही बनारसी साड़ियों की इंडस्ट्री की चिंता है? मोदी को लेकर बहुत सारी बातें हो रही हैं, लेकिन मैं किसे वोट दूंगा यह नहीं बताऊंगा।’ इलाके के कई मुसलमान इस बात को लेकर चिंतित दिखे कि प्रियंका गांधी क्यों वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ रही हैं।क्या उन्हें हार का डर दिख रहा था इसी तरह से एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी के कमजोर होने पर भी मुस्लिमों में निराशा दिखी।
बीजेपी से विरोध के बावजूद पीएम का दिल से स्वागत’
सोनारपुरा में रिजवान अहमद ने कहा, ‘वाराणसी और यूपी में बाकी जगहों पर काम तो हुआ है। यह तथ्य है। यह भी सच है कि वाराणसी में मोदी को कोई हरा नहीं सकता है। उनके अलावा है ही कौन? लेकिन बीजेपी के दूसरे नेता जब बजरंग बली और अली की बहस छेड़ते हैं तो थोड़ी निराशा होती है। अगर पीएम मोदी जीत कर आते हैं तो उनका पूरे दिल से स्वागत है, बीजेपी से कुछ बुनियादी वैचारिक विरोध के बावजूद।’कुछ नेताओं को अपनी भाषाओ पर नियत्रण रखना चाहिए जिससे समाज का बटवारा ना हो