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बुद्ध पूर्णिमा पर कीजिए, बिहार का रुख

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ट्रेवल डेस्क। बिहार स्थित गया नामक स्थान पौराणिक काल से ही हिंदू धर्म के लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थान का नाम एक असुर के नाम पर पड़ा है, जिसे भगवान विष्णु द्वारा मुक्ति दी गई थी। लेकिन भगवान बुद्ध के समय से यह स्थान बौद्ध धर्म को माननेवालों के लिए भी बेहद महत्वूर्ण हो गया। क्योंकि यही वह स्थान है, जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिस वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी, वह आज भी स्थित है और उसे बोधि वृक्ष कहा जाता है।

भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति के बाद इस पवित्र स्थान का नाम बोध गया पड़ गया। अब यहां हिंदू और बौद्ध दोनों धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में आते हैं। अगर आप भी बौध गया जा रहे हैं तो वहां स्थित कुछ धार्मिक और पर्यटन स्थलों की सैर अवश्य करें। इस नगरी में आकर आपको एक अलग ही अनुभूति होगी और आप खुद को संस्कृति के अधिक निकट अनुभव करेंगे।

जरूर जायें महाबोधि मंदिर
बोधगया जा रहे हैं और महाबोधि मंदिर नहीं गए तो आपका बोधगया जाने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि महाबोधि मंदिर ही बोधगया का प्राइम अट्रैक्शन है। इसी मंदिर के परिसर में बोधि वृक्ष है। मंदिर का निर्माण 7वीं सदी में हुआ था लेकिन समय-समय पर इसे रिनोवेट किया जाता रहा है। मंदिर में एक नौवीं सदी का शिवलिंग भी मिला था।

बराबर की गुफाएं
यह ऐतिहासिक गुफाएं मौर्य काल में 322 से 185 ईसा पूर्व में बनाई गई थीं। यह चार गुफाओं का समागम है जिन्हे चट्टानों को काटकर बनाया गया है। इस गुफा में जैन और हिंदू संरचनाएं मिली थी जो 273-232 ईसा पूर्व की हैं। इन गुफाओं की दिवारों पर बौद्ध धर्म के इतिहास और इसके विकास को दिखाया गया है।

80 फीट ऊँचा बोधि वृक्ष
यह वही प्राचीन वृक्ष है जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह वृक्ष महाबोधि मंदिर के दक्षिण में स्थित है और यह मूल वृक्ष की पांचवी पीढ़ी है। 80 फीट ऊंचा यह वृक्ष पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण है और यह बौद्ध धर्म के प्रमुख चार तीर्थस्थानों में से एक है।

चाइनीज टेंपल
चाइनीज टेंपल महाबोधि मंदिर के बगल में ही स्थित है। इसका निर्माण 1945 में चीनी सरकार और बौद्ध भिक्षुओं ने करवाया था। यह मंदिर चीनी वास्तुकला की शैली में बना है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की गोल्डन प्रतिमा भी है। 1997 में इस मंदिर का रिनोवेशन किया गया था।

दुर्लभ मूर्तियां का संग्रह बोधगया पुरातत्व संग्रहालय
बोधगया में इस संग्रहालय का काफी महत्व है क्योंकि यहां बौद्ध धर्म से जुड़ी कई ऐतिहासिक चीजों का संग्रह है। इस संग्रहालय का निर्माण 1958 में किया गया था। यहां कुछ दुर्लभ मूर्तियों का संग्रह है जो तांबा, चांदी और सोने से बनी हैं और इनका निर्माण करीब 2000 हजार साल पहले हुआ था।

मूचालिंडा झील के चारो और की हरियाली
बौद्ध धर्म के लोगों के बीच यहा झील काफी पवित्र मानी जाती है। यहां एक मंदिर भी है जहां भगवान बुद्ध और उनको सुरक्षा देते एक सांप की मूर्ति है। यह एक खूबसूरत झील है जिसके चारो तरफ हरियाली बिखरी पड़ी है।

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