छोटी दीपावली आज है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में यम के दीपक जलायेंगे। पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि यम को प्रसन्न करने के लिए दीपक जलाया जाता है। नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपक जलाने के संबंध में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार यमदेव ने अपनी दूतों को अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा था कि जो व्यक्ति कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन दीप जलायेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
इसलिए नरक चतुर्दशी पर शाम के समय यम के निमित्त दीपदान करने की परंपरा है। इसीलिए लोग शनिवार को संध्या काल में गोबर के दीया दक्षिण दिशा में जलायेंगे। धर्म शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा को यम देव की दिशा माना गया है, इसलिए चतुर्दशी तिथि पर यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में जलाया जाता है।
नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। नरकासुर नाम के राक्षस ने अपनी शक्तियों से देवताओं, ऋषियों-मुनियों और 16 हजार एक सौ कन्याओं को बंधक बना लिया था। इसलिए नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर साधु-संत और देवता भगवान श्रीकृष्ण के पास पहुंचे। नरकासुर को श्राप मिला था, कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी।
इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर राक्षस का वध किया था और 16 हजार एक सौ कन्याओं को उसकी कैद से मुक्ति दिलाया था। नरकासुर राक्षस की कैद से आजाद होने पर कन्याओं को समाज से सम्मान दिलाने के लिए भगवान ने सभी कन्याओं से विवाह कर लिया था। इसी खुशी में कार्तिक माह के चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाने की परंपरा शुरू हुई।