लखनऊ। लोस चुनाव के ठीक पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सपा-बसपा गठबंधन में सेंधमारी की है।यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गढ़ कहे जाने गोरखपुर में जीत हासिल करने के लिए बीजेपी सपा के मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को अपना प्रत्याशी बना सकती है। लेकिन समाजवादी पार्टी ने भी बीजेपी के इस तोड़ का जवाब ढूंढ निकाला है।
निषाद पार्टी और एनडीए की बातचीत अभी किसी मुकाम तक पहुंचती इससे पहले ही सपा ने यहां से फिर एक बार निषाद उम्मीदवार को टिकट दे दिया है। सपा ने प्रवीण निषाद की जगह रामभुआल निषाद को मैदान में उतारा है।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी हाल में गोरखपुर लोकसभा सीट को अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। क्योंकि यहां से उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ सांसद हुआ करते थे इसके बाद योगी आदित्यनाथ यहां से 1998 से लगातार सांसद चुने जाते रहे। 2017 में सीएम बनने के बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने पूरा जोर लगाया था कि यह सीट बरकरार रहे लेकिन सपा ने यह सपना चकनाचूर कर दिया। ऐसे में योगी और पार्टी मंथन कर रहे हैं कि यहां से किसे टिकट दिए जाए जिससे किसी भी हाल में यह सीट बीजेपी के पास रहे।
योगी आदित्यनाथ और संजय निषाद की हुई थी मुलाकात
शुक्रवार को प्रवीण निषाद के पिता संजय निषाद ने लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात के बाद से ये चर्चा होने लगी थी कि दोनों पार्टियां साथ चुनाव लड़ सकती हैं।योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद संजय निषाद ने कहा कि यूपी के सीएम ने मुझे आश्वासन दिया कि हमारी शिकायतों को सुना जाएगा और उनसे निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी। एनडीए तय करेगा कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा।
सूत्रों के के अनुसार भाजपा निषाद पार्टी को गोरखपुर और जौनपुर सीट दे सकती है। प्रवीण निषाद को जहां गोरखपुर से टिकट मिल सकता है तो वहीं जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह निषाद पार्टी से प्रत्याशी हो सकते हैं।
जानिये क्यों निषाद उम्मीदवार पर दांव लगा रही हैं पार्टियां
बता दें कि गोरखपुर में 3।5 लाख मतदाता निषाद जाति के हैं। इन्हीं निषाद वोटर्स ने पिछले साल हुए उपचुनाव में प्रवीण निषाद की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। उपचुनाव में सपा और बसपा ने साझा उम्मीदवार खड़ा किया था। इससे पहले के चुनावों में भी सपा और बसपा निषाद जाति के लोगों का वोट हासिल करने के लिए निषाद उम्मीदवार को ही टिकट देती रही हैं। लेकिन उनके वोट बंट जाते थे।
पिछले साल उपचुनाव में साझा उम्मीदवार होने के कारण निषाद जाति के लोगों के वोट एक ही खाते में गए, जिसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी को यहां पर हार मिली। अब जब सपा-बसपा गठबंधन एक बार फिर निषाद उम्मीदवार पर दांव लगा रहा है और चर्चा है कि बीजेपी भी प्रवीण निषाद को यहां से प्रत्याशी बना सकती है तो ऐसे में यहां पर चुनावी लड़ाई दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है।
योगी से मुलाकात के पहले क्या बोले थे संजय निषाद
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार को कहा कि हम गठबंधन के साथ नहीं है और निषाद पार्टी स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के रवैये से हमारे कार्यकर्ता और कोर कमेटी नाराज है।
संजय निषाद ने कहा कि अखिलेश यादव ने कहा था कि वह हमारी पार्टी के लिए सीटों का ऐलान करेंगे। लेकिन उन्होंने अपने पोस्टरों में हमारी पार्टी का नाम और एक शब्द तक नहीं लिखवाया। संजय निषाद ने कहा कि अब हम स्वतंत्र हैं और हमारे सामने सभी विकल्प खुले हैं। निषाद पार्टी अकेले भी लड़ सकती हैं और अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है।