कैलिफोर्निया। चुनावी साल में सोशल मीडिया का अहम रोल रहता है। राजनीतिक दल भी सोशल मीडिया पर जमकर सक्रिय रहते हैं। लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने भारत के लिए अपनी नई पॉलिसी का ऐलान किया है।
इस पॉलिसी के तहत कंपनी ने अब राजनीतिक विज्ञापनों के साथ डिस्क्लेमर अनिवार्य कर दिया है। कंपनी ने साफ कर दिया है कि ऐसे कोई भी एडवरटाइजमेंट्स जिनमें किसी राजेनता, पार्टी या फिर चुनावों का जिक्र होगा, उन्हें डिस्क्लेमर के साथ जारी करना होगा।
भारत में अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और माना जा रहा है कि इन चुनावों के मद्देनजर कंपनी की नई नीति काफी महत्वपूर्ण है। फेसबुक के लिए भारत सबसे अहम बाजार है और यहां पर हर माह करीब 217 मिलियन यूजर्स इस साइट का प्रयोग कर रहे हैं। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से इससे जुड़ी एक रिपोर्ट पब्लिश की गई है।
इंस्टाग्राम पर भी नई पॉलिसी फेसबुक में बतौर प्रोडक्ट मैनेजर काम कर रही सारा स्किफ ने एक ब्लॉग में इस बात की जानकारी दी है। सारा ने ब्लॉग में लिखा है, ‘यूजर जो एड देख रहा है, उसकी जिम्मेदारी किसकी है, उसे इसकी जानकारी मिल सकेगी।
लोग राजनीति से जुड़े एड के बारे में और ज्यादा चीजों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे जिसमें रेंज आॅफ इंप्रेशन और बाकी दूसरी चीजें भी शामिल होंगी।
‘ सारा ने अपने ब्लॉग में आगे लिखा है कि कंपनी फेसबुक के अलावा इंस्टाग्राम पर भी राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर पारदर्शिता और इसकी विश्वसनीयता के नए स्तर को तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। सारा के अलावा भारत में कंपनी के पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर शिवनाथ ठुकराल ने कहा है कि भारत में आम चुनावों को देखते हुए कंपनी एड को लेकर बड़े बदलाव करने जा रही है।
लोकेशन से लेकर पेज हैंडलर तक की जानकारी फेसबुक एड लाइब्रेरी में एड के अलावा इसके कंटेंट, इसकी स्टार्ट और एंड डेट के अलावा इसका परफॉर्मेंस डाटा जैसी चीजें जिसमें उम्र, व्यक्ति का लिंग और लोकेशन के बारे में कई सारी सूचनाओं को शामिल किया जाएगा।
दिसंबर 2018 में कंपनी ने एडवरटाइजर्स से उनकी पहचान और उनकी लोकेशन को वैरीफाइ करने को कहा था ताकि वह राजनीतिक एड चला सकने में सफल हो सकें। फेसबुक के ब्लॉग में लिखा है कि आने वाले कुछ दिनों में लोगों को उस लोकेशन के बारे में भी पता लग सकेगा जहां से राजनीतिक विज्ञापन से जुड़े किसी पेज को मैनेज किया जा रहा है।
सरकार ने दी थी फेसबुक का वॉर्निंग 21 फरवरी से सिर्फ एडवरटाइजर्स को यह पता लग पाएगा कि किसी पॉलिटिकल एड के लिए किसने मंजूरी दी है और कौन उसके लिए जिम्मेदार होगा। फेसबुक और गूगल दोनों भारत में करीब 10, 819 करोड़ की डिजिटल मार्केटिंग के बाजार पर अपना प्रभुत्व रखते हैं। देश में यूजर प्राइवेसी, फ्रीडम आॅफ स्पीच, ट्रॉलर्स के रवैये, गलत और फेक न्यूज ने फेसबुक को यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया था।
साल 2018 में सरकार की ओर से फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया को चेतावनी दी गई थी कि अगर उनके प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके देश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की तो फिर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कंपनी ने तैयार किया वॉर रूम फेसबुक लोकसभा चुनावों को देखते हुए कई अहम प्रयास कर रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और राजस्थान में हुए चुनावों में भी फेसबुक ने इसी नीति को आगे बढ़ाया था। फेसबुक की ओर से एक टास्क फोर्स बनाई गई है जो चुनावों से जुड़े मुद्दों से निबटेगी।
फेसबुक ने ब्राजील के आम चुनावों के अलावा अमेरिका में हुए मध्यावर्ती चुनावों के दौरान कैलिफोर्निया के मेनलो पार्क में एक फिजिकल वॉर रूम बनाया था। दिसंबर में फेसबुक ने बांग्लादेश चुनावों से पहले नौ पेजों और छह अकाउंट्स को बंद कर दिया था।
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