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भाजपा पर भारी न पड़ जाए ममता का सत्याग्रह!

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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी का आक्रामक होना बीजेपी के लिए शुभ संकेत नहीं है। आपको बता दें कि चिटफंड घोटाले में सीबीआई के कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ करने की कोशिश में ममता बनर्जी धरने पर बैठीं हैं। उन्होंने कहा कि वह देश और संविधान बचाने के लिए ”सत्याग्रह जारी रखेंगी। मुख्यमंत्री कुछ वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी के सदस्यों के साथ बिना कुछ खाए रातभर अस्थायी मंच पर बैठी रहीं। बनर्जी ने धरना स्थल पर मौजूद पत्रकारों से कहा, ”यह एक सत्याग्रह है और जब तक देश सुरक्षित नहीं हो जाता मैं इसे जारी रखूंगी।

क्या है ताजा विवाद ममता बनर्जी और मोदी सरकार के बीच ताजा विवाद उस समय हो रहा है जब देश तीन महीने बाद नई केंद्र सरकार चुनने जा रहा है। चुनाव पूर्व केंद्र की कटुता राज्यों में शासित विपक्षी पार्टियों के साथ बढ़ती जा रही है, विशेषतौर पर बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्ली में केजरीवाल के साथ। इन दोनों ने भाजपा के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। तृणमूल कांग्रेस सरकार के साथ ताजा विवाद की शुरुआत रविवार को हुई, जब केंद्रीय जांच एजेंसी(सीबीआई) की टीम कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए कोलकाता पहुंची। सीबीआई राज्य के चिटफंड मामलों, जिसमें सारदा केस भी शामिल है, उनसे पूछताछ करने आई थी। कोलकाता पुलिस ने इससे पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया और बाद में रिहा कर दिया। इसके बाद सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक वो राज्यपाल से भी इस मामले में शिकायत करेगी। ममता ने अपनी आक्रामक राजनीतिक स्टाइल के तहत इसके बाद कोलकाता पुलिस आयुक्त के घर में घुसने की सीबीआई की योजना का विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। इस बीच, भाजपा नेताओं ने राज्य में कानून और व्यवस्था की खराब स्थिति का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है ।अगर इतिहास देखा जाए तो ममता बंगाल में लेफ्ट के खिलाफ आक्रामक चेहरों में एक थी। उस समय वो इसी तरह सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती थी। इस स्थिति में धरना के एक बड़ी कोशिश थी। इस तरह से वो भाजपा को संदेश दे रही है कि आने वाले चुनावों में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती हैं।

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