नई दिल्ली। यदि इस पर बिना बहस और पास हुए सत्र खत्म हो जाता है तो यह भारत के संसदीय इतिहास में पहला मौका होगा क्योंकि संसद का बजट सत्र खत्म होने को है, लेकिन अभी तक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस होना बाकी है। फिलहाल तो इस स्थिति के आसार बनते दिख रहे हैं। राज्यसभा में मंगलवार को भी हंगामा जारी रहा और बहस की शुरूआत नहीं हो सकी। बुधवार को सत्र का अंतिम दिन है। सूत्रों की मानें तो सरकार पक्ष और विपक्ष के बीच अब तक इस मुद्दे पर सहमित नहीं बनी है। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस और वोटिंग हो चुकी है। हालांकि एनबीटी से बातचीत में सरकार ने कहा कि पीएम मोदी बुधवार को राज्यसभा में अभिभाषण पर जवाब देने की कोशिश करेंगे।
अगर राष्ट्रपति अभिभाषण पर राज्यसभा में बहस और इसे पास कराने की प्रक्रिया नहीं होती है तो क्या कोई संवैधानिक संकट सी स्थिति होगी? इस बारे में जानकारों की अलग-अलग राय है। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने एनबीटी से कहा कि ऐसा संसदीय इतिहास में आज तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इससे गलत परंपरा शुरू होगी, लेकिन कोई संसदीय संकट जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी क्योंकि यह एक परंपरा है।
वहीं संविधान के जानकार और लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी अचारी ने एनबीटी से कहा कि संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर वोटिंग कराने को अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन आर्टिकल 87 में राष्ट्रपति के भाषण पर बहस को अनिवार्य किया गया है। हालांकि राज्यसभा से बजट को पास करना जरूरी नहीं है। वहीं जानकारों का कहना है कि अब तक अभिभाषण पर बहस हर बार हुई है।
पांच बार संशोधन के बाद हुए पास
संसदीय इतिहास में आज तक ऐसी कोई मिसाल नहीं है जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस और वोटिंग नहीं हुई। अभी तक पांच बार ऐसा हुआ है, जब राज्यसभा में अभिभाषण को विपक्ष के दबाव के बाद संशोधन के साथ पास किया गया है। इन पांच मौकों में से दो बार मोदी सरकार के कार्यकाल में ही हुआ है। इससे पहले ऐसा 1980, 1989 और 2001 में भी ऐसा हुआ था।
आखरी समय में भी कोशिश जारी है
वहीं इस गलत परंपरा को शुरू होने से बचाने के लिए सोमवार से ही सरकार और विपक्ष के बीच कई दौर की बातचीत हुई। सूत्रों का कहना है कि इन बैठकों में इस बात पर सहमति बनी थी कि मंगलवा को 12 बजे अभिभाषण पर बहस होगी और 10 घंटे की बहस के बाद पीएम मोदी इस पर जवाब देंगे। इस बात पर भी सहमति बनी थी कि बुधवार को दो घंटे बजट पर बहस होगी और बाकी के समय में जरूरी बिल पास कराए जाएंगे। इसके साथ ही विपक्ष ने शर्त रखी थी कि नागरिकता कानून या तीन तलाक कानून जैसे बिल पास कराने के लिए पेश नहीं किए जाएंगे।
ऐसे बिगड़ी बात
सत्ता और विपक्ष की तरफ से इसपर सहमित के बाद मंगलवार को शून्यकाल शांति से चल रहा था, लेकिन तभी उत्तर प्रदेश में एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से रोकने की घटना हुई और सदन में इस पर हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद पूरे दिन काम नहीं हुआ। एनबीटी ने बाद में जब विपक्ष के आधे दर्जन सांसदों से बात की तो उन्होंने कहा कि अब तक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किस तरह बहस होगी, इस बारे में कोई समझौता नहीं हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है कि राज्यसभा सदस्यों से उनके भाषण की लिखित कॉपी ले ली जाए और प्रस्ताव को पास मान लिया जाए।
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