पुलवामा। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जो आतंकी हमला हुआ है, उसमें सुरक्षा की चूक की बात कही जा रही है। कहीं न कहीं यह बात कुछ हद तक सही भी साबित हो रही है क्योंकि जिस जम्मू-श्रीनगर हाईवे से 2500 जवानों को लेकर काफिला गुजर रहा था, उस पर हमेशा कड़ी सुरक्षा रहती है।
ऐसे में 350 किलोग्राम विस्फोटकों से लदी एक एसयूवी का वहां पर आना और इतने बड़ी हमले को अंजाम देना चौंका देता है। पुलवामा में हुए हमले में 44 जवान शहीद हो चुके हैं।
इंटेलीजेंस की ओर से दी गई थी वॉर्निंग
इस बात की वॉर्निंग पहले दी जा चुकी थी कि कश्मीर में सीरिया की स्टाइल में एक कार बम धमाके को अंजाम दिया जा सकता है।
अब यह बात भी सामने आ रही है कि कोई नहीं जानता था कि इस कार बॉम्बर को कैसे रोका जाए। हाल ही में सुसाइड बॉम्बर से जुड़ा इंटेलीजेंस इनपुट सुरक्षाबलों को मिला था।
कार में सुसाइड बॉम्बर की खबरों के बाद सुरक्षाबलों हाई अलर्ट पर थे और इस खतरे से निबटने के लिए हाई-लेवल की मीटिंग्स लगातार हो रही थीं। कोई भी इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाया कि आखिर इस सुसाइड बॉम्बर को कैसे रोका जा सकता है।
बॉम्बर से कैसे निबटा जाए कोई नहीं जानता था
एक टॉप आफिसर के हवाले से एक पत्रिका ने इस बात की जानकारी दी है। कुछ निश्चित इनपुट्स के बाद कार सुसाइड बॉम्बर को कैसे निष्क्रिय किया जाए या फिर उससे कैसे निबटा जाए, इसके तरीकों पर मीटिंग में चर्चा हुई थी।
सीआरपीएफ के साथ भी इस पर चर्चा की गई थी। गुरुवार को जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे।
दिन के समय हर सिविलियन गाड़ी की चेकिंग मुश्किल है हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार को जवानों से भरी बस से जाकर भिड़ा दिया।
जम्मू से श्रीनगर जाने वाले नेशनल हाइवे पर यह घटना हुई। इस हमले को जैश ने बिल्कुल उसी मॉड्स आपरेंडी के तहत अंजाम दिया जो सीरिया और अफगानिस्तान में आतंकी अपनाते हैं। सूत्रों की ओर से कहा गया है कि कार को चेक किया जा रहा था।
मगर इतने पर ही किसी कार बॉम्बर को रोका नहीं जा सकता था। जो एक तरीका नजर आया उसके तहत मिलिट्री कॉन्वॉय को देर रात रास्ते से गुजारने पर चर्चा की गई क्योंकि इस समय ट्रैफिक कम रहता है और उसे मैनेज किया जा सकता है।
कई वर्षों बाद ऐसा खतरनाक हमला कम ट्रैफिक के होने पर हर वाहन की चेकिंग आसान हो जाती है या फिर सिविलियन गाड़ी को तब तक रोका जा सकता है जब तक कि कोई मिलिट्री कॉन्वॉय वहां से गुजर न जाए।
दिन के समय यह काम बहुत मूश्किल होता है क्योंकि कई सिविलियन गाड़यिां वहां से गुजरती हैं और उन्हें मैनेज करना बहुत मुश्किल होता है। रात के समय रोड आॅपरेटिंग टीमों की मदद से पोर्टेबल लाइट्स को सड़क के किनारे रखकर घुसपैठियों का पता लगाया जा सकता है।
पुलवामा में हुआ आतंकी हमला बहुत ही असाधारण हमला है और एक अधिकारी की मानें तो हाल के कुछ वर्षों में इस तरह के हमले नहीं हुए हैं।