चिकित्सा जगत में, खासकर नी-रिप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में, आगरा को रोबोटिक तकनीक से अधिक सटीक, सुरक्षित इलाज की सौगात देने वाले डॉ. मेघल गोयल आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अपने प्रशिक्षण काल में 1500 से अधिक सफलतम नी और हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी के अनुभव से चिकित्सा जगत के कोहिनूर बने मेघल गोयल अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां डॉ. अल्का गोयल से मिली प्रेरणा और पिता डॉ. मुकेश गोयल के हौसले को देते हैं। हमने एक विशेष इंटरव्यू में जब उनसे बात की, तो हमने जाना कि उन्हें अपने पैरेंट्स से विरासत में मिली सहजता और सरलता के साथ चिकित्सा जगत में ईमानदारी और सेवा-भाव के गुरुमंत्र कैसे मिले और कैसे वह अपने पिता द्वारा स्थापित गोयल सिटी हॉस्पिटल में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस से अपने करियर को धार दे रहे हैं…

डॉ. मेघल, आपने चिकित्सा क्षेत्र में इतनी कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। इसकी शुरुआत कैसे हुई?

मेरे लिए डॉक्टर बनना सिर्फ एक पेशा नहीं, एक जीवन दर्शन है। मेरी मां, डॉ. डॉ.अल्का गोयल ने हमेशा जिस प्रकार हर कदम पर मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया वही प्रेरणा मुझे मेरे जीवन में आगे बढ़ने के लिए सहायक बनी और मेरे पिता डॉ. मुकेश गोयल ने हमेशा मुझे हौसला दिया कि चाहे राह कितनी भी कठिन हो, अगर नीयत साफ है तो मंज़िल ज़रूर मिलती है। बचपन में उन्हें मरीजों के साथ जिस आत्मीयता और सेवा-भाव से पेश आते देखा, वहीं से मेरे अंदर चिकित्सा सेवा के बीज पड़े।
क्या कभी ऐसा समय आया जब आपको लगा कि यह क्षेत्र बहुत चुनौतीपूर्ण है?
जी हां, चिकित्सा क्षेत्र में हर दिन एक नई चुनौती होती है। नी और हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी में सटीकता बेहद ज़रूरी होती है, खासकर जब आप रोबोटिक तकनीक का प्रयोग कर रहे हों। प्रशिक्षण के दौरान सैकड़ों घंटे ऑपरेशन थिएटर में बिताए, 1500 से ज्यादा सर्जरी में हिस्सा लिया – कभी-कभी थकावट होती थी, मगर मां की आवाज़ दिल में गूंजती रहती थी –“सेवा में ही सार है।” और पिता का भरोसा तो जैसे एक छतरी बनकर हर तूफान से बचाता रहा।
आपने रोबोटिक तकनीक को अपनाया, यह विचार कैसे आया?
मेरा मानना है कि मरीज को सर्वोत्तम तकनीक और सुविधा मिलनी चाहिए। रोबोटिक सर्जरी से हम बहुत अधिक सटीकता से नी-रिप्लेसमेंट कर सकते हैं। विदेशों में इसका चलन पहले से है, और मैं चाहता हूं कि भारत में भी हर मरीज़ को यह अत्याधुनिक सुविधा मिले। इसमें मेरी मां की दूरदर्शिता और पापा की प्रैक्टिकल सोच दोनों की झलक है।
जब आप गोयल सिटी हॉस्पिटल में प्रैक्टिस करते हैं, क्या वहां मां और पापा की छाप महसूस होती है?
बिल्कुल। यह सिर्फ अस्पताल नहीं, एक विरासत है। मेरी मां ने सिखाया कि मरीज का इलाज उसके मन को छूकर करें, और पापा ने सिखाया कि प्रबंधन में पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता कितनी अहम है। मैं हर दिन अस्पताल में उनकी सोच को जीवित रखता हूं – ईमानदारी, करुणा और नवाचार के माध्यम से।
आपकी नजर में एक आदर्श डॉक्टर कौन होता है?
जो हर मरीज को एक इंसान की तरह देखे, आंकड़ों की तरह नहीं। मेरी मां ने हमेशा कहा कि “हर मरीज के पीछे एक परिवार है, उसकी उम्मीदें हैं।” यही सोच मुझे हमेशा मानवीय बनाए रखती है। मेरे पिता कहते हैं – “कभी घमंड मत करना, ज्ञान से विनम्रता बढ़नी चाहिए।” मेरे लिए यही एक आदर्श डॉक्टर की परिभाषा है।
आने वाले समय में आप अपनी भूमिका को कैसे देखते हैं?
मैं चाहता हूं कि गोयल सिटी हॉस्पिटल एक ऐसा केंद्र बने जहाँ रोबोटिक सर्जरी की विश्वस्तरीय सुविधा मिले, और साथ ही युवा डॉक्टरों के लिए प्रशिक्षण का एक आदर्श संस्थान भी हो। मां-पापा की सीख को आगे बढ़ाना ही मेरा लक्ष्य है – सेवा, समर्पण और नवाचार की भावना से।
आपने डॉक्टर का प्रोफेशन चुना क्या इसके पीछे पेरेंट्स का दबाव रहा?
नहीं, कभी दबाव नहीं था – सिर्फ प्रेरणा थी। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि डॉक्टर ही बनो, लेकिन जो जीवन उन्होंने जिया, वह अपने आप में एक उदाहरण था। मैंने देखा कि कैसे पापा ने अस्पताल को अपने परिवार की तरह संभाला। उनका समर्पण मेरे लिए सबसे बड़ा प्रेरक था।
आज के युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे जो चिकित्सा क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं?
यह क्षेत्र केवल किताबों से नहीं चलता – सेवा-भाव, संवेदनशीलता और धैर्य सबसे ज़रूरी हैं। अगर आप केवल पैसा कमाने आए हैं, तो यह रास्ता कठिन लगेगा। लेकिन अगर आप किसी की पीड़ा को कम करने की नीयत से आए हैं, तो हर चुनौती एक अवसर बनेगी।
क्या आपने कभी अपने पिता के साथ किसी मरीज़ का इलाज मिलकर किया है?
हाँ, कई बार। कुछ सर्जरीज़ में पापा मेरे मार्गदर्शक के रूप में साथ थे। और जब मैं और पापा किसी मरीज़ के इलाज की योजना बनाते हैं, तो वो अनुभव एक डॉक्टर परिवार का असली सार होता है। वहां अनुभव, भावनाएं और आधुनिक तकनीक – सब एक साथ मिलते हैं।

आपकी पत्नी डॉ. खुशबु गोयल भी एक सफल गायनकोलॉजिस्ट हैं। उनके लिए क्या कहना चाहेंगे?
खुशबु न सिर्फ मेरी जीवनसाथी हैं, बल्कि एक समर्पित और संवेदनशील डॉक्टर भी हैं। जब कभी भी मैं किसी कठिन निर्णय के बीच होता हूँ, खुशबु का संतुलित दृष्टिकोण और सकारात्मक ऊर्जा मुझे राह दिखाती है। वो मरीजों के साथ जिस आत्मीयता से पेश आती हैं, वह एक सीख है। हमारे लिए चिकित्सा सेवा सिर्फ एक करियर नहीं, बल्कि एक साझा मिशन है – और इसमें उनका साथ मेरे लिए अनमोल है।