नई दिल्ली। जेट एयरवेज के विदेशी रूट्स की उड़ानों के दूसरी कंपनियों के बीच बंटवारे के लिए जो फॉर्म्युला तय हुआ है, उस पर इंडस्ट्री की राय बंटी हुई है। कुछ ऐविएशन कंपनियां कह रही हैं कि इससे इंडिगो को सबसे अधिक फायदा होगा। स्पाइसजेट, विस्तारा और गोएयर ने इस फॉर्म्युला पर ऐतराज जाहिर किया है। इस फॉर्म्युला के मुताबिक, डमेस्टिक फ्लाइट्स के अनुपात में कंपनियों को विदेशी रूट्स के राइट्स दिए जाएंगे। एयरलाइंस का कहना है कि इससे इंडिगो को विदेशी रूट्स के सबसे अधिक राइट्स मिलेंगे, जिससे ‘मोनोपॉली’ की स्थिति बनेगी।
एयरलाइन के प्रमोटर ने किया विरोध
ऐविएशन सेक्रेटरी प्रदीप सिंह खारोला के साथ हुई मीटिंग में एक एयरलाइन कंपनी के प्रमोटर ने इसका विरोध करते हुए कहा, ‘इससे मार्केट में एकाधिकार की स्थिति बनेगी।’ सरकारी सूत्रों ने कहा कि उन्होंने यह नहीं बताया कि किस कंपनी का दबदबा बनेगा।
विदेशी उड़ान के लिए तय दिशानिर्देशों के मुताबिक इस मामले में सरकारी कंपनी एयर इंडिया को प्रायरिटी मिलेगी। उसके बाद जिस कंपनी की भारत में उड़ानों की संख्या अधिक होगी, उसे सबसे अधिक ऐसे राइट्स मिलेंगे। ऐविएशन मिनिस्ट्री के एक सूत्र ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘जेट एयरवेज के विदेशी राइट्स का बंटवारा दूसरी कंपनियों के बीच अस्थायी तौर पर किया गया है, लेकिन इसके लिए इस्तेमाल किए जा रहे फॉर्म्युले के दूसरी कंपनियों के विरोध पर भी चर्चा हो रही है।’
इन कंपनियों ने ईमेल का जवाब नहीं दिया
अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया को इन रूट्स के एलोकेशन के बारे में फैसला हो चुका है। उसे भारत से दुबई रूट पर सप्ताह में 5,700 सीट, भारत-कतर रूट पर 5,000 सीट और लंदन से भारत रूट पर 4,600 सीट दी जाएंगी। इस खबर के लिए ईमेल से पूछे गए सवालों का स्पाइसजेट, विस्तारा और गोएयर से जवाब नहीं मिला। एयरलाइन सूत्रों ने बताया कि अभी के दिशानिर्देश के हिसाब से ज्यादातर सीटें इंडिगो को मिलेंगी, जो डमेस्टिक मार्केट में सबसे बड़ी एयरलाइन है।
सरकार किन कंपनियों को सीट देगी
एक एयरलाइन के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कहा, ‘यह अप्रत्याशित स्थिति है। बिजी इंटरनैशनल रूट्स पर काफी जगह निकली है। इसे विमान कंपनियों के बीच बराबर बांटा जाना चाहिए। जिन कंपनियों ने अभी इंटरनैशनल ऑपरेशंस शुरू करने का ऐलान किया है, उन्हें भी इनमें से सीटें मिलनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि वैसे भी जेट के आधे फॉरेन फ्लाइंग राइट्स एयर इंडिया को दिए जा चुके हैं। एक अन्य अधिकारी ने संकेत दिया कि ये सीटें अस्थायी तौर पर दी जा रही हैं। इसका मकसद यात्रियों को किसी असुविधा से बचाना है। इसलिए सरकार को ये सीटें उन कंपनियों को देनी चाहिए, जो पहले से उन रूट्स पर उड़ान भर रही हैं।
कंपनी को विदेशी रूट्स पर सर्विस देने की इजाजत नहीं
अधिकारी ने बताया, ‘जिन रूट्स पर कोई एयरलाइन पहले से सर्विस दे रही है, उसके लिए उस पर अतिरिक्त फ्लाइट्स शुरू करना आसान होगा।’ इस मॉडल पर अमल हुआ तो विस्तारा और एयरएशिया जैसी नई कंपनियों को इंटरनैशनल ऑपरेशंस शुरू करने के लिए फ्लाइंग राइट्स नहीं मिल पाएंगे। इस बीच, एयरएशिया ने जेट एयरवेज के फॉरेन फ्लाइंग राइट्स पर ऐविएशन मिनिस्ट्री की मीटिंग में नहीं बुलाए जाने का विरोध किया है। मिनिस्ट्री को पत्र लिखकर उसने दक्षिण-पूर्वी एशिया में कई शहरों के लिए उड़ानें शुरू करने के अधिकार मांगें हैं। कंपनी को अभी तक विदेशी रूट्स पर सर्विस देने की इजाजत नहीं मिली है। एयरएशिया ने इसके लिए आवेदन दिया हुआ है और वह जल्द ही सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद कर रही है। अगले साल जून में उसके कामकाज के पांच साल भी पूरे हो जाएंगे।