हेल्दी स्किन के लिए बॉडी की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। स्किन को ड्राई न होने दें। मौसमी फल और हरी सब्जियों का स्तेमाल जरुर करें, ताकि आपकी त्वचा को प्राकृतिक रूप से पोषकतत्व मिलें। यह कहना आगरा के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. सतीश अग्रवाल की आज के मौसम में किस प्रकार के स्किन से जुड़े रोगों की गिरफ्त में आप आया सकते हैं। इसके लिए एतिहात के तौर पर क्या करें इसे ही कुछ सवालों के जवाब टीबीआई 9 से बात करते हुए डॉ. सतीश अग्रवाल ने दिए पेश है उनसे हुई बातचीत के खास अंश…
स्किन प्रॉब्लम से लोग बहुत परेशान हैं क्या वजह रहती है स्किन से जुड़े रोगों की?
स्किन हमारे शरीर का प्रमुख बाहरी हिस्सा है। इसलिए पर्यावरण में होने वाले परिवर्तन और प्रदूषण का पहला प्रभाव स्किन पर ही पड़ता है, जैसे सर्दी, गर्मी, धूप, फोग या पर्यावरण के हिसाब से रोग स्किन पर होते हैं।
सर्दियों की बात करें तो आजकल किस प्रकार की स्किन प्रॉब्लम लोगों को होती हैं ?
इस मौसम में सबसे अधिक पेशेंट खुस्की के आते हैं खुश्की से खुजली होती है। लोग खुजा-खुजा कर घाव कर लेते हैं। इसको लोग गम्भीरता से नहीं लेते। एक्सपर्ट से ट्रीटमेंट लेने के बजाय मेडिकल से कोई ट्यूब लेकर ठीक करने की कोशिश करते हैं, जिसकी वजह से धीरे-धीरे ये प्रॉब्लम गम्भीर हो जाती है। इसका इन्फैक्शन फैमिली में अन्य को भी होने लगता है। इसलिए मैं कहूंगा किसी भी प्रॉब्लम की शुरूआती स्टेज पर एक्सपर्ट से राय जरुर लें।
इस मौसम में खुश्की से बचने के लिए एतिहात के तौर पर हमें क्या करना चाहिए?
सबसे महत्वपूर्ण हैं, हमें साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए, नियमित रूप से नहाएं अच्छे सॉफ्ट साबुन का स्तेमाल करें। साथ ही अपनी स्किन के अनुसार इस मौसम में मोश्चराइजर स्तेमाल भी करना चाहिए। स्किन को हमें इस मौसम में खासतौर से सॉफ्ट रखना बेहद जरूरी है। साथ ही कहूंगा किसी स्किन प्रॉब्लम होने पर आप तुरंत किसी चर्म रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
त्वचा के अनुसार किस प्रकार के साबुन इस्तेमाल करने चाहिए?
अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आपको ग्लेसरीन सोप, मोश्चराइजिंग सोप इस्तेमाल करने चाहिए, जैसे पियर सॉप और डव आदि आते हैं। जिनकी स्किन सामान्य है उनके लिए कोई खास परहेज की जरूरत नहीं, आप कोई भी अच्छा साबुन इस्तेमाल करें।
सर्दियों में लोग नहाने में गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं, क्या त्वचा पर इसके कोई साइडइफेक्ट होते हैं?
नहीं गर्म पानी नहाने के लिए अच्छा रहता है इससे त्वचा की अच्छे से साबुन से सफाई हो जाती है। फर्क सिर्फ इससे यह पड़ता है। गर्म पानी त्वचा की बाहरी चिकनाई को हटा देता है, जिसके चलते-चलते त्वचा खुश्क हो जाती है। नहाने के बाद आप बॉडी लोशन या कोई तेल इस्तेमाल करें तो कोई प्रॉब्लम नहीं
हम देखते हैं यूथ में कील मुंहासे की प्रॉब्लम अधिक रहती है इसकी क्या वजह रहती है ?
यह हारमोंस चेंज की वजह से होता है। कुछ युवाओं में यह समस्या अधिक होती है। इसके लिए आपको विशेष प्रकार की केयर की जरूरत होती है। क्यों की ये कील मुंहासे आपके चेहरे की रंगत बिगाड़ सकते हैं। आप गम्भीरता बरते और किसी चर्म रोग विशेषज्ञ से सलाह लें जरुर लें।
लोग चेहरे पर मुल्तानी मिटटी के लेप और नींबू के छिलके का इस्तेमाल घरेलू उपचार के तौर पर करते हैं, क्या ये नुस्खे ठीक हैं?
हां, ये घरेलू उपचार के नुस्खे एक लिमिट तक ठीक हैं। हफ्ते में एक-दो बार आप इस्तेमाल कर सकते हैं।
कुछ लोगों को कुछ दवाएं रियेक्सन कर जाती हैं, क्या ऐसे केसेज में डरमेट्लोजिस्ट की भूमिका रहती है?
हां, त्वचा पर रिएक्शन से हुए इन्फेक्शन को डरमेट्लोजिस्ट डाइग्नोस करके इलाज करते हैं।
क्या दवाओं से होने वाले रिएक्शन को स्थाई रूप से खत्म किया जा सकता है?
नहीं इसके लिए सिर्फ एक ही विकल्प है, दवा का जो फार्मूला आपकी बॉडी पर सूट नहीं कर रहा है। उसका इस्तेमाल आप भविष्य में न करें
एक पर्सनल सवाल आपने चर्म रोग विशेषज्ञ का प्रोफेशन ही क्यों चुना?
शुरू से एक सोच थी कि मुझे सर्जिकल ब्रांच में नहीं जाना है तो ऐसे में फिजीशियन और डरमेट्लॉजी ब्रांच एक विकल्प बचता था। इसमें डरमेट्लॉजी ब्रांच मुझे अधिक कूल लगी, जिसमें कोई खास इमर्जेंसी नहीं होती है। लाइफ स्ट्रेस फ्री रहती है। और एक खास बात यह भी है आज भी डरमेट्लॉजी में एमडी सुपर स्पेशलाइजेशन डिग्री है, जबकि अन्य ब्रांच में एमडी के बाद डीएम और अन्य अलग-अलग स्पेशलाइजेशन डिग्री हैं।
पाठकों को और क्या संदेश देना चाहेंगे?
पाठकों से कहना चाहूंगा हेल्दी स्किन के लिए बॉडी की सफाई का खास ख्याल रखें। स्किन को ड्राई न होने दें मौसमी फल और हरी सब्जियों का इस्तेमाल जरुर करें, ताकि आपकी त्वचा को प्राकृतिक रूप से पोषकतत्व मिलें।